8. संगीत शिक्षा
शुद्ध स्वर तखन होइत अछि, जखन सातो स्वर अपन निश्चित स्थान पर रहैत अछि। एहि सातो पर कोनो चेन्ह नहि होइत अछि।
जखन शुद्ध स्वर अपन स्थानसँ नीचाँ रहैत अछि तँ कोमल कहल जाइत अछि, आ’ ई चारिटा होइत अछि एहिमे नीचाँ क्षैतिज चेन्ह देल जाइत अछि, यथा- रे॒, ग॒, ध॒, नि॒।
शुद्ध आ’ मध्यम स्वर जखन अपन स्थानसँ ऊपर जाइत अछि, तखन ई तीव्र स्वर कहाइत अछि, एहिमे ऊपर उर्ध्वाधर चेन्ह देल जाइत अछि। ई एकेटा अछि- म॑।
एवम प्रकारे सात टा शुद्ध यथा- सा,रे,ग, म, प, ध, नि, चारिटा शुद्ध यथा- रे॒,ग॒,ध॒,नि॒ आ’ एकटा तीव्र यथा म॑ सभ मिला कय १२ टा स्वर भेल।
एहिमे स्पष्ट अछि जे सा आ’ प अचल अछि, शेष चल किंवा विकृत।
आब फेर कीबोर्ड पर आऊ। 37 टा की बला कीबोर्ड हम एहि हेतु कहने चालहुँ,किएक तँ 12, 12, 12 केर तीन सेट आ, अंतिम 37म तीव्र सां केर हेतु।
सप्तक मे सातटा शुद्ध आ’ पाँचटा विकृत मिला कय 12 टा भेल!
वाम कातसँ 12 टा उजरा आ’ कारी की मंद्र सप्तक, बीच बला 12 टा की मध्य सप्तक आ, 25 सँ 36 धरि की तार सप्तक कहल जाइत अछि।
आरोह- नीचाँ सँ ऊपर गेनाइ, जेना मंद्र सप्तकसँ मध्य सप्तक आ’ मध्य सप्तकसँ तार सप्तक।
मंद्र सप्तकमे नीचाँ बिन्दु, मध्य सप्तक सामान्य आ’ तार सप्तकमे ऊपर बिन्दु देल जाइत अछि, यथा-
स़, ऱ,ग़,म़,प़,ध़,ऩ सा,रे,ग,म,प,ध,नी सां,रें,गं,मं,पं,धं,निं
अवरोह- तारसँ मध्य आ’ मध्यसँ मंद्र केँ अवरोह कहल जाइत अछि।
वादी स्वर- जाहि स्वरक सभसँ बेशी प्रयोग रागमे होइत अछि। समवादी स्वर- जकर प्रयोग वादीक बाद सभसँ बेशी होइत अछि। अनुवादी स्वर- वादी आ’ समवादी स्वरक बाद शेष स्वर। वर्ज्य स्वर- जाहि स्वरक प्रयोग कोनो विशेष रागमे नहि होइत अछि। पकड़- जाहि स्वरक समुदायसँ कोनो राग विशेषकेँ चिन्हैत छी।
(अनुवर्तते)
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