Pages

Sunday, July 27, 2008

विदेह 01 मई 2008 वर्ष 1 मास 5 अंक 9 16.पोथी समीक्षा,पोसपुत कथा संग्रह श्री संतोष कुमार मिश्र, मिथिला (नेपाल)।

16.
पोसपुत कथा संग्रह श्री संतोष कुमार मिश्र, मिथिला (नेपाल)।
मिथिलाक्षरमे प्रकाशित प्रथम 21म सदीक मैथिली पोथी।

समीक्षा- गजेन्द्र ठाकुर.

पोथी समीक्षा

सन्तोष कुमार मिश्र केर कथा संग्रह पोसपुत प्राप्त भेल अछि। नेपालक एहि कथाकारक सात गोट कथा पोसपुत, एकटा ब्यथा पत्रमे, जखन कनिञा भेलखिन बिमार, सिपाहि, डाक्टर, भाग्य अप्पन-अप्पन आ’ दाग एहिमे सम्मिलित अछि। कथावस्तु प्रस्तुत करबासँ पहिने एकर अन्य पक्ष पर चर्च करब आवश्यक।

पहिल गप जे एहि पुस्तकक समीक्षासँ एकर प्रारम्भ भेल अछि। श्री कालीकान्त ‘तृषित’, देपुरा रुपैठा, जनकपुर एकर सांगोपांग समीक्षा कएलन्हि अछि, आ’ ई कथाकारक उच्च मानसिकता अछि जे ओ’ एहि समीक्षाकेँ उचित रूपमे लेलन्हि, कारण जौँ से नहि रहैत तँ एकर एहि रूपमे स्थान पोथीमे नहि भेटैत।

दोसर गप जे ई पोथी एक दिशिसँ देखला उत्तर देवनागरीमे आ’ दोसर दिशिसँ देखला उत्तर मिथिलाक्षरमे लिखल बुझि पड़ैत अछि आ’ से अछियो। 21म शताब्दीक ई प्रायः एहि तरहक प्रथम प्रयास अछि, जे मैथिलीमे देखबामे आएल अछि।

आब पहिने तृषित जीक समालोचना देखैत छी। ओ’ लिखैत छथि, जे कथाकारक कथामे पलायनवादी सोचक प्रधानता रहैत अछि, संगहि ईहो गप उठबैत छथि जे साहित्य सृष्टाकेँ तटस्थ प्रस्तोता होयबाक चाही आकि पथ प्रदर्शक, पलायनवादे होयबाक चाही आकि संघर्षक प्रेरणाश्रोत?
‘पोसपुत’क विषयमे तृषित जी कहैत छथि, जे एहिमे तीनपुस्तक वर्णन अछि, आ’ राजा महेन्द्र आ’ राजा त्रिभुवनक समयमे भेल घटनाक वर्णन जोड़बाक अभिप्राय स्पष्ट नहि अछि।
’एकटा व्यथा पत्रमे’ केर विषयमे ऋषित कहैत छथि जे कालक गति , लोकक विवशता आ’ अनुभूतिक वर्णन अछि एहिमे।
तेसर कथा ‘ जखन कनिञा भेलखिन बिमार’ केँ तृषित जी बिमार कथा घोषित करैत छथि।
‘सिपाही’ कथामे ओहि पदक विवरण अछि जे विवाह दानमे प्राथमिकता पबैत छल आ’ आब त्याज्य भ’ गेल अछि।

‘डॉक्टर’ कथाकेँ तृषितजी पलायनवादी सोचक पराकाष्ठा कहैत छथि। तृषितजीक विचारेँ डॉक्टरकेँ मरैत दम तक रोगीकेँ बचेबाक प्रयास करबाक चाही।
’भाग्य अपन अपन’ भाग्य चक्र पर आधारित अछि। ‘दाग’मे क्षणिक आवेशमे उठाओल गेल डेग, अपरिपक्व उम्रमे भेल प्रेमविवाह फेर तकरा बाद दोसराक संग भागि जायब ई सभ पथभ्रष्टताक प्रतीक अछि।
पोसपुत आत्मकथात्मक शैलीमे लिखल गेल अछि, मुदा एकर समापन अकस्मात् होइत अछि, पोसपुतक किरदानीसँ आ’ मायक नैहरि जएबासँ।
दोसर कथा पत्र शैलीमे अछि, जतय पोस्पुत कथा जेकाँ पात्र संतोष छथि। एहि कथाक समापन सेहो बड्ड हड़बड़ीमे भेल अछि, आ’ घटनाक तारतम्य लेखकसँ पाठक धरि नहि पहुँचि सकल।
ओहिना जखन कनिञा भेलखिन बिमारमे लेखक अपन कथ्य स्पष्ट नहि कए सकलाह।
सिपाहि कथामे सेहो पात्रक नाम संतोष छन्हि, मुदा कथ्य आत्मकथात्मक नहि अछि। डॉक्टरकेँ देशमे सेवा करबाक पुरस्कार भेटलैक प्रमाण-पत्रक रद्द होयब आ’ से ओकरा हेतु प्राणघातक सिद्ध भेल।भाग्य अपन-अपन पुरान खिस्सा कहबाक शैलीमे अछि, जे राजा देशमे सर्वेक्षण करएबाक हेतु राजकुमारकेँ पठबैत छथि आ’ ई कथ नीक बनि पड़ल अछि। दाग कथा कथात्मक अछि आ’ हड़बड़ीमे लिखल भाषित होइत अछि।

एहि कथा संग्रहकेँ तृषित जी समीक्षाक संग भाषायी रूपसँ संपादित नहि कएलन्हि, कारण एहिमे मानकताक अभाव अछि। प्रूफ रीडिंग सेहो नीक जेँका नहि भेल अछि। मानकताक हेतु विदेह आ’ मिथिला मंथनसँ प्रयास शुरू भेल अछि, आ’ विदेहक रचना लेखन स्तंभमे एकरा स्थान देल गेल अछि।केन्द्रीय भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर द्वारा सेहो मैथिली स्टाइल मैनुअलक निर्माण भ’ रहल अछि, आवश्यकता अछि, जे नेपालक विद्वान लोकनि सेहो अपन मत मैथिली अकादमीक मानक निर्धारण शैलीक आधार पर बनाओल जा’ रहल शैली पर देथि, जाहिसँ ई सर्वग्राह्य होए।

c)२००८. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ’ जतय लेखकक नाम नहि अछि ततय संपादकाधीन।

विदेह (पाक्षिक) संपादक- गजेन्द्र ठाकुर। एतय प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक लोकनिक लगमे रहतन्हि, मात्र एकर प्रथम प्रकाशनक/ आर्काइवक/ अंग्रेजी-संस्कृत अनुवादक ई-प्रकाशन/ आर्काइवक अधिकार एहि ई पत्रिकाकेँ छैक। रचनाकार अपन मौलिक आऽ अप्रकाशित रचना (जकर मौलिकताक संपूर्ण उत्तरदायित्व लेखक गणक मध्य छन्हि) ggajendra@yahoo.co.in आकि ggajendra@videha.co.in केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx आ’ .txt फॉर्मेटमे पठा सकैत छथि। रचनाक संग रचनाकार अपन संक्षिप्त परिचय आ’ अपन स्कैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौलिक अछि, आऽ पहिल प्रकाशनक हेतु विदेह (पाक्षिक) ई पत्रिकाकेँ देल जा रहल अछि। मेल प्राप्त होयबाक बाद यथासंभव शीघ्र ( सात दिनक भीतर) एकर प्रकाशनक अंकक सूचना देल जायत। एहि ई पत्रिकाकेँ श्रीमति लक्ष्मी ठाकुर द्वारा मासक 1 आ’ 15 तिथिकेँ ई प्रकाशित कएल जाइत अछि।

No comments:

Post a Comment