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Monday, July 28, 2008

'विदेह' १५ जून २००८ ( वर्ष १ मास ६ अंक १२ )४.महाकाव्य/ महाभारत –गजेन्द्र ठाकुर

४.महाकाव्य
महाभारत –गजेन्द्र ठाकुर(आगाँ) ------
सैरन्ध्रीक प्रति भए श्रद्धा दुनू पसरल,
दुर्योधन छल बुझल अज्ञातवासक कथा,
छल ताकिमे तकबाक पाण्डवक पता,
छी ई द्रौपदी सैरन्ध्रीक भेषमे अभरल।

पाण्डव छद्म-भेष बनओने छथि गांधर्वक,
कीचकसँ अपमानित राजा त्रिगर्त देशक,
मिलि दुर्योधनसँ कए गौ-हरणक विचार
विराट राजसँ ओऽ लेत बदला आब।

दुर्योधन लए संग भीष्म,द्रोण,कृप, कर्ण,
आक्रमण विराट पर लए अश्वत्थामा संग।
त्रिगर्त राज सुशर्मा घेरि गौ-विराटराजक,
बान्हि विराटकेँ जखन ओऽसोझाँ आयल।

ललकारि कएल भीमकेँ सोर युधिष्ठिर-कंक,
वल्लभ-भीम ग्रंथिक-नकुल तंत्रिपाल-सहदेव।
खोलि बन्धन विराटक बान्हि देल सुशर्मन्,
वृहन्नला बनि सारथी पुत्र विराटराज उत्तमक।

रथ आनल रणक्षेत्र उत्तमकुमार भेल घबरायल,
गेल अर्जुन शमी गाछ लग उतारि शस्त्र आयल,
गाण्डीव अक्षय तुणीर आनि परिचय सुनाओल।

उत्तमकुमार बनल सारथी वृहन्नला-अर्जुनक संग,
वेगशाली रथ देखि दुर्योधन पुछल हे भीष्म।

अज्ञातवासक काल भेल पूर्ण वा न वा कहू,
भीष्म कहल पूर्ण तेरह वर्षक अवधि भेल औ।

अर्जुन उतारल अपन रोष कर्ण पुत्र विकर्ण पर,
मारि ओकरा बढ़ल आगाँ कर्णकेँ बेधल सेहो।

द्रोण भीष्मक धनुष काटल मूर्च्छित कएल सेना सकल,
द्रोण-कृप-कर्ण-अश्वत्थामा-दुर्योधनक मुकुट वस्त्र सभ,
उत्तमकुमार उतारल सभटा गौ लए नगर तखन घुरल।

मूर्च्छा टूटल सभक जखन कहल करब युद्ध पुनः,
भीष्म नहि मनलाह दुर्योधन घुरु बहु भेल आब अः।

उत्तमकुमार नहि करब प्रगट भेद हमर अर्जुन कहल,
विराट भेल प्रसन्न वीरता सुनि उत्तमक आबि घर।

पञ्च पाण्डव द्रौपदीक तखन परिचय हुनका भेटल,
प्रस्ताव कएल पुत्री उत्तराक विवाह अर्जुनसँ करब।

अर्जुन कहल पढ़ेने छी हमर शिष्या अछि ओऽ रहल,
पुत्र अभिमन्युसँ होयत विवाहित उत्तरा ई प्रस्ताव छल।

कृष्ण-बलराम द्वारकासँ बरियाती अभिमन्युक लए अएलाह,
उत्तराक विवाह अभिमन्युक संग भेल बड़ टोप-टहंकारसँ।


५.उद्योग पर्व


छलाह आएल राजा वृन्द अभिमन्युक विवाह पर,
भेल राजाक सभा जतए कृष्ण कएल विनती ओतए।
द्यूत खेल शकुनीक अपमान द्रौपदीक कएल जे,
दुर्योधन छीनल राज्य युधिष्ठिरक अधर्मसँ से।
बाजू प्रयत्न राज्य-प्राप्तिक कोना होयत वा,
दुर्योधनक अत्याचार सहैत रहथु पाण्डव सतत।

द्रुपद उठि कहल दुराचारी कौरवकेँ सभ जनञ छथि,
कर्तव्य हमरा सभक थिक सहाय बनी पाण्डव जनक।

(अनुवर्तते)
(c)२००८. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ’ जतय लेखकक नाम नहि अछि ततय संपादकाधीन।

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