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Sunday, July 27, 2008

विदेह १५ मई २००८ वर्ष १ मास ५ अंक १० १३. संस्कृत मिथिला –गजेन्द्र ठाकुर म.म. शंकर मिश्र

१३. संस्कृत मिथिला –गजेन्द्र ठाकुर
म.म. शंकर मिश्र

शंकर मिश्रसँ संबंधित बहुत रास जनश्रुति प्रसिद्ध अछि। अयाची वृद्ध भए गेल छलाह, परन्तु पुत्रविहीन रहथि। पत्नी भवानी दुःखसँ काँट भए गेल छलीह। तखन अयाची मिश्र बाबा वैद्यनाथसँ पुत्रक याचना कएलन्हि आऽ हुनकर मनोकामना पूर्ण भेलन्हि-स्वयं शंकर भगवान अवतरित भेलाह आऽ ताहि द्वारे बालकक नाम शंकर पड़ल। जन्म पर गामक आया किंवा चमैन इनाम मँगलखिन्ह, मुदा परिवारक लगमे किछु नहि छल आऽ ताहि हेतु भवानी वचन देलखिन्ह जे बालकक प्रथम कमाइ अहाँकेँ दए देब। से जखन एक बेर राजा शिव सिंह खुशी भए बालककें कहलखिन्ह जे अहाँ जतेक सोना-चाँदी लए जा सकी लए जाऊ। बालक मात्र धरिया पहिरने छलाह तेँ मात्र किछु सोनाक छड़ लए जाऽ सकलाह, आऽ सेहो भवानी अपन वचनक अनुरूपें आया-चमैनकेँ दए देलखिन्ह। चमैन ओहि पाइसँ एकटा पोखरि सरिसवमे खुनबएलन्हि, जे चमनियाँ पोख्रिक नामसँ एखनो विद्यमान अछि।
c)२००८. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ’ जतय लेखकक नाम नहि अछि ततय संपादकाधीन।

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