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Sunday, July 27, 2008

विदेह १५ मई २००८ वर्ष १ मास ५ अंक १० ९. पाबनि वटसावित्री निबंध - नूतन झा

९. पाबनि नूतन झा; गाम : बेल्हवार, मधुबनी, बिहार; जन्म तिथि : ५ दिसम्बर १९७६; शिक्षा - बी एस सी, कल्याण कॉलेज, भिलाई; एम एस सी, कॉर्पोरेटिव कॉलेज, जमशेदपुर; फैशन डिजाइनिंग, निफ्ट, जमशेदपुर।“मैथिली भाषा आ' मैथिल संस्कृतिक प्रति आस्था आ' आदर हम्मर मोनमे बच्चेसॅं बसल अछि। इंटरनेट पर तिरहुताक्षर लिपिक उपयोग देखि हम मैथिल संस्कृतिक उज्ज्वल भविष्यक हेतु अति आशान्वित छी।”

निबंध - नूतन झा
वटसावित्री
मिथिलांचल में वटसावित्री ज्येष्ठ मासक अमावस्या तिथि केर मनौल जाइत अछि।अहि पाबनि के अहिबाती स्त्री स्वयम्‌ के वैधव्य सॅं मुक्त राख लेल मनाबैत छथि। अहि दिन नब वस्त्र , सामयिक फल, आम, अंकुरि, बड़क गाछ, बॉंसक बियनि आदिक बड़ महत्त्व अछि।सब सधवा स्त्री भोरे-भोर स्नानादि कऽ नव वस्त्र धारण कऽ फूल, नैवेद्य, बियनि, अछिंजल, सूत, धूप-दीप लऽ बड़क गाछ लग जाइत छथि।ओतऽ नियमपूर्वक पूजा करैत छथि। तदोपरान्त जल आ' अन्न ग्रहण करैत छथि। व्रत करनिहारि अहि दिन अनून खाइत छथि ।
नवव्याहता के लेल ई पाबनि विशिष्ट अछि। पहिल बेर पाबनि बड विस्तृत रूप सॅं मनाओल जाइत अछि। इक दिन पहिने पबनौतिन अड़बा अड़बाइन खाइथ छथि ।ओहि दिन राति कऽ भगवतीक गीत नाद संगे हड़दि के गौर आ' उड़दि के बड़ बनाक राखि लेल जाइत अछि।माटिक बिसहरा बना ओकरा चून सॅं ढौरकऽ रंग सॅं रॉंगि लेल जाइत अछि।पाबनि के दिन तीन पात अड़िपन पड़ैत छै। बिषहरा गौरी समेत सावित्रीक पूजा होति अछि।बड़क गाछ के त्रिपेक्षण कैल जाइत अछि जाहि में गाछक जड़ि में आम स लगाक जल ढारि सूत लपेट क बियनि डोलैल जाइत अछि।आरतीक बाद कथा कहल जाइत अछि आ पबनौतिन के हाथे पॉंच टा अइहब के अंकुरि आ नवेद पड़ोसाइल जाइत अछि।अहि पाबनि में कहल जाइ वला कथाक सारांश यैह अछि जे पतिव्रता स्त्री में यमराज के पराजित करके शक्ति होइत अछि।
१०. संगीत शिक्षा-गजेन्द्र ठाकुर
एक मात्राक दूटा बोलकेँ धागे आऽ चारि टा बोलकेँ धागेतिट सेहो कहल जाइत अछि।

तालक परिचय
ताल कहरबा
४ टा मात्रा, एकटा विभाग, आऽ पहिल मात्रा पर सम।
धागि
नाति
नक
धिन।

तीन ताल त्रिताल

१६ टा मात्रा, ४-४ मात्राक ४ टा विभाग। १,५ आऽ १३ पर ताली आऽ ९ म मात्रा पर खाली रहैत अछि।
धा धिं धिं धिं
धा धिं धिं धा
धा तिं तिं ता
ता धिं धिं धा
झपताल
१० मात्रा। ४ विभाग, जे क्रमसँ २,३,२,३ मात्राक होइत अछि।
१ मात्रा पर सम, ६ पर खली, ३,८ पर ताली रहैत अछि।
धी ना
धी धी ना

ती ना
धी धी ना

ताल रूपक
७ मात्रा। ३,२,२ मात्राक विभाग।
पहिल विभाग खाली, बादक दू टा भरल होइत अछि।
पहिल मात्रा पर सम आऽ खाली, चारिम आऽ छठम पर ताली होइत अछि।
धी धा त्रक
धी धी
धा त्रक
c)२००८. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ’ जतय लेखकक नाम नहि अछि ततय संपादकाधीन।

विदेह (पाक्षिक) संपादक- गजेन्द्र ठाकुर। एतय प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक लोकनिक लगमे रहतन्हि, मात्र एकर प्रथम प्रकाशनक/ आर्काइवक/ अंग्रेजी-संस्कृत अनुवादक ई-प्रकाशन/ आर्काइवक अधिकार एहि ई पत्रिकाकेँ छैक। रचनाकार अपन मौलिक आऽ अप्रकाशित रचना (जकर मौलिकताक संपूर्ण उत्तरदायित्व लेखक गणक मध्य छन्हि) ggajendra@yahoo.co.in आकि ggajendra@videha.co.in केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx आ’ .txt फॉर्मेटमे पठा सकैत छथि। रचनाक संग रचनाकार अपन संक्षिप्त परिचय आ’ अपन स्कैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौलिक अछि, आऽ पहिल प्रकाशनक हेतु विदेह (पाक्षिक) ई पत्रिकाकेँ देल जा रहल अछि। मेल प्राप्त होयबाक बाद यथासंभव शीघ्र ( सात दिनक भीतर) एकर प्रकाशनक अंकक सूचना देल जायत। एहि ई पत्रिकाकेँ श्रीमति लक्ष्मी ठाकुर द्वारा मासक 1 आ’ 15 तिथिकेँ ई प्रकाशित कएल जाइत अछि।

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