दिगम्बर झा “दिनमणि”
१
चल रौ बौआ चलै देखऽले घुसहा सब पकड़ेलैए
घुसुर घुसुर जे घुस लैत छल,
से सब आइ धरैलैए
मालपोत, भन्सार, पुलिस कि, कर अदालत जेतौं
घूसखोरक संजाल पसारल छै बाँच नै पबितौं
अनुसन्धानक कारवाइमे
सवहक होस हेरेंलैए
विना घूसके कहियो ककरो, जे नै कानो काज करै
बैमानी सैतानी करबा, मे नै कनिको लाज करै
क्यो कानूनके चंगुलमे फँसने
परदेस पड़ेलैए
२
हम सुना रहल छी तीन धार
भारी सहैत अछि भार कहथि सभ खेती सहिते अछि उजाड़।
गिद्दड़ सन सुटकओने नाङरि आगू पाछ जे छल करैत।
जे भोर साँझ, दश लोक माझ, हमरे दिश छल रहि-रहि बढ़ैत।
हम आङुर पकड़ि जकरा पथपर अति शिघ्र चलाऽ देलौं
हमरे प्रगतिक पथकेँ आगाँ, से ठाढ़ भेल बनिकऽ पहाड़॥
हम सुना
ककरा कहबै के सुनत आब, पओ कतौ छैक छै कतौ घाव,
हम भेलौं आब हड्डी समान, कहियो हमहीं रुचिगर कवाव।
हम घास खाअकऽ पालि-पोसि, जकरा कएलौं दुधगरि लगहरि,
तकरा लगमे जँ जाइत छियै, तऽ हमरे मारैए लथार॥ हम सुना,
हम तोड़ि देबै झिक-झोड़ि देबै शाखा फल-फूल मचोड़ि देबै,
स्वार्थक छै जे जड़िआएल बृक्ष तकरा जड़िस हक कोड़ि देबै।
मनमे जे चिनगी सुनगि रहल, से कहियाधरि हम झाँपि सकब,
तें ई मन जहिया लहरि जेतै, तहिया खएतै धोविया पछाड़॥ हम सुना
३
चलैमन जगदम्बाक द्वारि चलैमन जगदम्बाक द्वारि।
सब दुःख हरती झोड़ी भरती, बिगड़ल देती सम्हारि॥
चलै मन...
मधु कैटभक डरे पड़एला जटिया स्वयं विधाता।
पूजन ध्यान बन्दना कएलनि कष्टहरु हे माता॥
बोधल हरि मारल मधु कैटभ बिधिकेँ कएल गोहारि।
चलै मन..
महिषासुरक त्राससँ धरती थर-थर काँपए लागल
छोड़ि अपन घर द्वारि देवता ऋषि मुनि जंगल भागल।
हुनका सबहक कष्ट हरि लेलनि महिषासुरकेँ मारि। चलै मन..
हुँ कारक उच्चरित शब्दसँ धुम्र गेल सुरधाम।
चण्ड-मुण्ड आ रक्तवीजकेँ मिटा देलनि माँ नाम।
शुम्भ-निशुम्भ मारि धरतीसँ दैत्य कएल निकटारि॥ चलै मन...
शशि कुज बुध गुरु शुक्र शनिश्रवर की दिनमणिक तारा।
सर, नर मुनि, गन्धर्व अप्सरा सबहक अहीँ सहारा।
हमरो नैया पार करु माँ, भबसँ दिय उबारि। चलै मन...
adbhut prastuti
ReplyDeleteगिद्दड़ सन सुटकओने नाङरि आगू पाछ जे छल करैत।
ReplyDeleteजे भोर साँझ
bah
ee blog samanya aa gambhir dunu tarahak pathakak lel achhi, maithilik bahut paigh seva ahan lokani kay rahal chhi, takar jatek charchaa hoy se kam achhi.
ReplyDeletedr palan jha
मालपोत, भन्सार, पुलिस कि, कर अदालत जेतौं
ReplyDeleteघूसखोरक संजाल पसारल छै बाँच नै पबितौं
अनुसन्धानक कारवाइमे
सवहक होस हेरेंलैए
bah
sabh kavita nik lagal
ReplyDelete