१) सीमा
अर्थ मास्टरमाइन्ड भए सकैत छैक । मास्टरपीस भए सकैत छैक । मास्टर नहि ।
२ ) काटब
पेट भरबाक लेल घेंट कटैत छी आ घेंट ऊँच रखबाक लेल पेट
३ ) दोसराति
जखन भए जाइत छी हम अपने अशक्त ।
तखने जरूरति परैत अछि दोसरातिक ।
४ )
प्रगति १.
शंख । महाशंख । डपोरशंख । हराशंख ।
प्रगति २.
कनिया देशी । पिया परदेशी । बच्चा विदेशी ।
५) मूलमंत्र
अपन कनियांक हाथ पकड़ू आ दोसरक कनियांक करेज । चिन्हारक गरिदन पकरू आ अनचिन्हारक पैर । कहियो कोनो काजमे असफलता नहि भेटत ।
६ ) मोश्किल काज
कोनो कनैत जीव के चुप्प करब ओतबे मोश्किल काज छैक , जतेक की अपन आँखिक नोर के रोकब ।
७ ) सुआद
सोहारी आ गप्प दूनू नून मरचाई लगेला सं सुअदगर भए जाइत छैक ।
बड्ड नीक प्रस्तुति। एक तँ गद्य दोसर कविता आ तेसर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteमूलमंत्र
ReplyDeleteअपन कनियांक हाथ पकड़ू आ दोसरक कनियांक करेज । चिन्हारक गरिदन पकरू आ अनचिन्हारक पैर । कहियो कोनो काजमे असफलता नहि भेटत ।
सोहारी आ गप्प दूनू नून मरचाई लगेला सं सुअदगर भए जाइत छैक ।
कनिया देशी । पिया परदेशी । बच्चा विदेशी ।
nik lagal, bahut nik lagal
gadya kavita sabh bad nik
ReplyDelete१) सीमा
अर्थ मास्टरमाइन्ड भए सकैत छैक । मास्टरपीस भए सकैत छैक । मास्टर नहि ।
२ ) काटब
पेट भरबाक लेल घेंट कटैत छी आ घेंट ऊँच रखबाक लेल पेट
३ ) दोसराति
जखन भए जाइत छी हम अपने अशक्त ।
तखने जरूरति परैत अछि दोसरातिक ।
४ )
प्रगति १.
शंख । महाशंख । डपोरशंख । हराशंख ।
प्रगति २.
कनिया देशी । पिया परदेशी । बच्चा विदेशी ।
५) मूलमंत्र
अपन कनियांक हाथ पकड़ू आ दोसरक कनियांक करेज । चिन्हारक गरिदन पकरू आ अनचिन्हारक पैर । कहियो कोनो काजमे असफलता नहि भेटत ।
६ ) मोश्किल काज
कोनो कनैत जीव के चुप्प करब ओतबे मोश्किल काज छैक , जतेक की अपन आँखिक नोर के रोकब ।
७ ) सुआद
सोहारी आ गप्प दूनू नून मरचाई लगेला सं सुअदगर भए जाइत छैक ।
bah, mon prasann bhay gel
ReplyDeleteblog dekhi kay mon prasan bhay gel
ReplyDelete