'भालसरिक गाछ' जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल अखनो ५ जुलाई २००४ क पोस्ट'भालसरिक गाछ'- केर रूपमे इंटरनेटपर मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितिक रूपमे विद्यमान अछि जे विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,आ http://www.videha.co.in/पर ई प्रकाशित होइत अछि।
Tuesday, June 23, 2009
सोमदेव-एकटा अदना सिपाही
अपन सकेत कोठलीमे बैसल
जम्बूद्वीपक एकटा अदना सिपाही
सकेतमे अपन टाँगो नहि पसारि पबै-ए
मुदा खुशफैलमे गोली खूब चलबै-ए
मुइलकें मारैत। मारलकें मालक चाम जकाँ
घीचैत। चामकें
भान पर लदैत...। अपन सकेत कोठलीमे अपन माथ
उतारि क’ राखि आएल बेचारा एकटा अदना सिपाही
चिन्ताक मुरेठा कहुना खलिया पर लपेटने। बेचारा
एकटा अदना सिपाही
हृदय आ हाथ। यन्त्राक दू गोट असम्बद्ध पुर्जा
राजनीति शतरंजक प्यादा। चैबटियाक पेंचसँ कसल
विशेषणहीन। पाइ ओसूलैत। बहादुर। रिक्शा पर।
डण्टा बजारैत। बेचारा सिपाही
अपन सकेत सौंस कोठली बाहु पर उठौने
अशोक वनमे सीता दिस अँखियबैत
अइँठ-कूठि-निंगहेस पेटमे कोंचैत। त्रिजटाकें पछुअबैत
बाल-बच्चाकें लतिअबैत
दुनू मोंछ दुनू तरहत्थी पर रखने। विस्मित। बेचारा
जम्बूद्वीपक एकटा अदना सिपाही
बहीर साँप सभक सुखनीनक वास्ते
सकेत कोठलीवाला गलीक कण्ठ पर पदचाप दैत
‘टेप’ बजा रहल अछि। राति पर बारूदी
लेप सजा रहल अछि।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
neek prastuti
ReplyDelete