गजल
इजोतक दर्द अन्हार सँ पुछियौ
धारक दर्द कछेर सँ पुछियौ
नहि काटल गेल हएब जड़ि सँ
काठक दर्द कमार सँ पुछियौ
समदाउनो हमरा निर्गुणे बुझाएल
कनिञाक दर्द कहार सँ पुछियौ
सभ पुरुषक मोन जे सभ स्त्री हमरे भेटए
अवैध पेटक दर्द व्यभिचार सँ पुछियौ
करबै की हाथ आ गला मिला कए
अनचिन्हारक दर्द चिन्हार सँ पुछियौ
bahaut nik bhai, ehina likhait rahoo...bes manoranjak aa bhedi prastuti....ahank rachnak bat takait-TEOTH
ReplyDeleteकरबै की हाथ आ गला मिला कए
ReplyDeleteअनचिन्हारक दर्द चिन्हार सँ पुछियौ
oho ho ho
इजोतक दर्द अन्हार सँ पुछियौ
ReplyDeleteधारक दर्द कछेर सँ पुछियौ
नहि काटल गेल हएब जड़ि सँ
काठक दर्द कमार सँ पुछियौ
समदाउनो हमरा निर्गुणे बुझाएल
कनिञाक दर्द कहार सँ पुछियौ
सभ पुरुषक मोन जे सभ स्त्री हमरे भेटए
अवैध पेटक दर्द व्यभिचार सँ पुछियौ
करबै की हाथ आ गला मिला कए
अनचिन्हारक दर्द चिन्हार सँ पुछियौ
ati sundar
gazal ke pran delahu ahan, saripau
ReplyDeleteati sundar gazal, kahbak lel shabd nahi
ReplyDeletehello... hapi blogging... have a nice day! just visiting here....
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