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Friday, August 21, 2009

नेना-भुटका- सच्चा मित्रक कहानी

आशीष चौधरी, गाम-चरैया, पोस्ट-मंगलवार, जिला-अररिया।


एकटा छलै मोर, एकटा छलै कछुआ। दुनू गोटे मे बड़ प्रेम छलै। मोर जंगलक कहानी आर कछुआ पानी केर अंदरक कहानी एक-दुसराकेँ सुनबैत छलाह। एक दिन केर घटना छलै जे एकटा शिकारी मोरकेँ पकड़ि लेलक आर कहलक जे आब तँ राजा हमरा ढेर रास पाइ देत, किए तँ राजाकेँ मोरक मसुआइ बड़ नीक लगैत छलै। ई बात सुनि कऽ कछुआकेँ मोरक प्रति दया लागल आ कहलक जे हम अहाँकेँ हीरा दै छी। अहाँ हमर मित्र (मोर)केँ छोड़ि दियौ। ई बात सुनि कऽ शिकारी रुकि गेल आ कहलक- अहाँ हीरा दिअ, हम अहाँक मित्रकेँ छोड़ि देब। कछुआ पानि केर अन्दर गेल आर एकटा हीरा निकालि कऽ शिकारीकेँ दऽ देलक आर कहलक- अहाँ हमर मित्र मोरकेँ छोड़ि दिअ। शिकारी बात नै मानलक आर ओतएसँ चलि देलक। ई सभ बात देखि कऽ कछुआक मोनमे बड़ दुख भेलैक। से कछुआ कहलक जे हम अहाँकेँ एकटा आर हीरा देब से अहाँ हमर मित्र (मोर) केँ छोड़ि दिअ । तँ शिकारी रुकि गेल आ कहलक- तब तँ हम अहाँक मित्रकेँ निश्चित छोड़ि देब। तँ कछुआ कहलक- जे अहाँ हमरा ऊ हीरा दिअ, हम एकहि नापक हीरा निकालए छी। तँ शिकारी ऊ हीरा कछुआकेँ दऽ देलक आर कहलक जे अहाँ हीरा निकालू। हम अहाँक मित्रकेँ छोड़ि देब। तेँ कछुआ पानिमे गेल आर हीरा लऽ कए निकलल आ कहलक जे अहाँ हमर मित्रकेँ छोड़ि हमरा लग आऊ। तँ शिकारी मोरकेँ छोड़ि कऽ आगाँ बढ़ल तँ मोर उड़ि गेल आर कछुआ सेहो पानिमे चलि गेल। शिकारी हाथ मलैत रहि गेल। से ई बात पर ऊ कहलक, लालचसँ सभ नाश भऽ जाइत अछि। आब हम लालच नहि करब।

4 comments:

  1. nena-bhutka lel ee kathak prastuti bad nik lagal,

    ehina aar katha-kavita sabhak aasha rahat ahan se aashish ji

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  2. aashis bhay ker katha bad nik lagal.

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  3. NENA BHUTKAK PRASTUTI JAN AANI DAIT ACHHI, NATASHA AA PHER KATHA KAVITA SABHA, SABHTA NIK

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