संपूर्ण मिथिला एखन बाढ़ि सँ त्रस्त अछि। बाढ़िक प्रकोपक व्यवहारिक दंशक अनुभव हम हरेक साल करैत छी। एहि अनुभव के हम अपन गजल मे सेहो स्थान दैत छिऐक। जाहि बेर जेहन दर्द ताहि बेर तेहन शेर् ।एहि बेर हम अपन पूरा गजल नहि दए पाँच गोट भिन्न-भिन्न गजलक पाँच भिन्न- भिन्न शेर् दए रहल छी । पाँचो शेर् बाढ़ि पर अछि आ हमर व्यत्तिगत अनुभव अछि। मुदा एहि आशा मे अहाँ सभ के इ परसि रहल छी कहीं ने कहीं इ अहूँ लोकनिक इ व्यत्तिगत अनुभव होएत। त लिअ- इ पाँचो शेर्---------
1
कोशी-कमला बान्ह बन्हबौतीह अभियंता लागले रहल
हमरो गाम मे बाढ़ि ने अबितै सेहन्ता लागले रहल
2
नहि कानू चुप्प रहू आएत रीलीफ नेने नेता
तावत् घर-दुआरि बना आगँन बहारि राखब
3
जऽले जिनगी थिक भेटत हरेक पोथी मे लिखल
बाढ़िक मौसम मे तँए चारू दिस जिनगीए देखाइत छैक
4
बाढ़िक इ मौसम अछि धसना समय
मझँधार सँ आएल डुबैत अछि किनार मे
5
पानि सँ बाढ़ि छैक वा बाढ़ि सँ पानि
अपने पानि सँ दहा गेल धार
samyik sher,
ReplyDeletegazal sher nik likhai chhi ahan
Pancho sher prabhavit karait achhi !
ReplyDeletemarmik,hridaysparsi aa samyik rachna.
ReplyDeletephero ek ber nik rachna.
http://manishjha1.blogspot.com/
bah , bah, bah
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