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Sunday, September 20, 2009

क्षणिका-प्रशांत मिश्र

हड़ाहि

एकटा हड़ाहि जे राति मे पटकलन्हि साँए के

तोड़लन्हि चौकी

भोरे-भोर पड़ोसनी के गरिअबैत कहलखिन्ह

हँ,चुप्प रह गे सत्तबरती

राँड़ी, छुच्छी, सँएखौकी

4 comments:

  1. प्रशांत जी, एहि सशक्त क्षणिकासँ अहाँक प्रवेश बहुत रास सम्भावना अनलक अछि।

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