Pages

Showing posts with label रामकृष्ण झा ‘किसुन’ - खिस्सा-पिहानी. Show all posts
Showing posts with label रामकृष्ण झा ‘किसुन’ - खिस्सा-पिहानी. Show all posts

Monday, September 28, 2009

रामकृष्ण झा ‘किसुन’ - खिस्सा-पिहानी



ह’
उखड़ि गेल गाछ
अतिवृद्ध, जर्जर
डारि सभमे कठपिल्लू
घोरन छल लुधकल
टुस्सी सभमे बाँझी आ कोंकराहा
जाला छलै छाड़ल
बेस उँचका डीह पर
इतिहासक जीह पर
दोहराओल जाइ छल ओकर नाम
फल्लाँ बाबूक घड़ारी परक गाछ
(हड़ाशंख गाछ)
जनम’ नहि दै छलै छाहरि तर किछु
उच्च वंशावतंस पीपरक गाछ
बैसाख नहाबए बाली सभ
ओकरा जड़िमे पानि ढारि
गोसाँइक नाम सुनैत छलि
पुण्यलोभें ओकर खिधाँस सुनि
आँखि-कान मुनैत छलि
कतेकोकें बेटा
बेटाकें नोकरीक जोगार
फल्लाँ गामबालीक जमायक भातिज
आ कि भागिनक सार
भरिसक ओहि गाछक कृपासँ पौने छल
खुशफैल रोजगार
तें सब लुबधल छलि
पसरल आँचर
हे भगवान
रखिहह एहि पर ध्यान
ज’ड़ि लग बह्मक घोड़ा
फुनगी पर बह्मराक्षस
की लेब?
की ले...ब...?
ब’र आब नहि छलै
दर्प छलै छाहरिक
नवका छौंड़ा सभ ढेलमौस चलबै छल
कोनो फुनगीकें निशाना बनबै छल
वृद्ध जरद्गवकें कनबै छल
उखड़ि गेल पुरना से गाछ
बिहाड़िये छल जोरगर
उखड़ल अछि, तैयो जड़ि छै लगले
तंे पारू कोदाड़ि
खूनि दियौ चकरगर क’ चैर
चलाउ कुड़हरि
काटू एकर मुसरा
जे हँटए ई ढेंग
जमीन हो साफ
पुरनाकें आब कहू के करतै माफ?