Pages

Monday, June 16, 2008

ग़लती ..


ग़लती भेल आय हमरा से
तकर कुनो जबाब नही आय
जकर दुःख -दर्द हम बुझैत छि
लोक लाज से भीने मरैय छी
दूर देश के आय पराई त छी
क्याकी .............

ग़लती भेल आय हमरा से ......

छोटका न्नाह बचा संन छेलो
गुली डांटा मे समय बीतेलो
बाबू काका डटायत रहीगेल
मूर्खख संग मूर्खे भोगेल
मान मे अयल से हम केलो
अपन उमर के मोज उरेलो
क्याकी ..........

ग़लती भेल आय हमरा से ......

पढ़ाई लेल जे कियो किछ बाजे
अपने ही सर पर थापर मारी
मूर्खे अच्छी ई सबटा दुनिया
सोचि -सोच्ची हम नही हिया हरी
बाबा -दादा के संपति नही कम
उही देख के उमर बितैत अच्छी
क्याकी ..........

ग़लती भेल आय हमरा से ......

टी वी भिसियार देखते देखते
गम घर मे घूमते घूमते
नेता सब के भाषण सुन-सुन
ग्न्नू झा के कहानि सुनी -सुनी
अपन कपार हम अपने पिटैय छि
क्याकी .........

ग़लती भेल आय हमरा से ........

माय -बाबू के बात नही मानलो
सर समाजाक मान नही रखलो
चॉक -चोरहा मे हसी उरबी
बारका भैया की सब केलायत
छोट्कि भोजी नहियर ग़मेलायत
ई बात सब हम सोचिते राहलो
अपन कपार मे आगी लगेलो
क्याकी............

ग़लती भेल आय हमरा से ........

पढ़ल लिखल छैथ लूटन बाबू
की अपन ओ नाम बानेलैथ
ओही से निक अक्वाली भैया
महीस चरबैत कोठा बनबेलैथ
फुलबा के अच्छी फुशिक खेती
मुसाए बाबा के फाटल धोती
देखलो गामक ई सब रीत
गबैत रहलो इहा हम गीत
क्याकी .............

ग़लती भेल आय हमरा से.........

अपन जीवन के हम की कहू
खापैर- बारहैंन से नयन जुरेलो
फIशी चढ़लो हम मरी जायब
ज़हरो ख़ाके स्वरगो से एलो
हारल थाकल मिथिला लैब मे बैस्लो
ओ -पी जी कहलायत ई की केलो
मिथिला के आहा नाक कटेलो
क्याकी .............

ग़लती भेल आय हमरा से..........


जय मैथिली, जय मिथिला

~: लेखक :~

मदन कुमार ठाकुर
कोठिया पट्टीटोला
झंझारपुर (मधुबनी)
बिहार - ८४७४०४
मो - ०९३१३०१९९३२

प्रिय मिथिला बंधूगन यदि अपनों अपन कुनू रचना इ ब्लॉग पर राखे चाही तs अपन रचना हमरा इ-मेल करू या ब्लॉग मं सदस्यता ग्रहण के कs ख़ुद अपन रचना काय प्रकाशित करू ..........

~: धन्यवाद :~

10 comments:

  1. priya madan jee,
    shubh snehaasheesh. saral shabd mein bahut bhaavpoorna rachnaa paidh kar man prasann bhai gel. likhait rahoo.

    ReplyDelete
  2. बहुत निक रचना अछि अहिना लिखेत रहू !

    ReplyDelete
  3. कविता मए वास्तविक सच के वर्णन अछि, अपने के कविता बहुत निक लागल अहिना लिखेत रहू .....

    ReplyDelete
  4. ग़लती भेल आय हमरा से....

    कविता मं अपने'क मनक व्यथा साफ - साफ झल्कैत अछि ! आय के युवा वर्ग अपने'क कविता सs सिख लैथ जे इ गलती कहियो ओ नै करता अपने के रचना बहुत निक लागल !!

    ReplyDelete
  5. आत्मासँ हृदयसँ लिखल एहि ब्लॉगक सभ पद्य हृदयकेँ छुबैत अछि।

    গজেন্দ্র ঠাকুব

    ReplyDelete
  6. बाबू काका डटायत रहीगेल
    मूर्खख संग मूर्खे भोगेल
    vah

    ReplyDelete
  7. ee blog samanya aa gambhir dunu tarahak pathakak lel achhi, maithilik bahut paigh seva ahan lokani kay rahal chhi, takar jatek charchaa hoy se kam achhi.

    dr palan jha

    ReplyDelete
  8. बहुत - बहुत धन्यवाद पाठक गन के जे ओ अपन किमती व्क्त हमर रचना में देलैन , हम अपनेक सबक के अभारी छी
    जय मैथिल जय मिथिला

    ReplyDelete
  9. bahut- sundar Achhi kyaki kakhano hamhun galti ka lait Chhi

    ReplyDelete
  10. टी वी भिसियार देखते देखते
    गम घर मे घूमते घूमते
    नेता सब के भाषण सुन-सुन
    ग्न्नू झा के कहानि सुनी -सुनी
    अपन कपार हम अपने पिटैय छि
    क्याकी .........
    bahut - bahut dhnywad madan ji

    ReplyDelete