Pages

Showing posts with label मैथिली भाषा. Show all posts
Showing posts with label मैथिली भाषा. Show all posts

Tuesday, September 30, 2008

मैथिली भाषा

"विदेह" मैथिली ई-पत्रिकाक नव १९ म अंक आऽ पुरान १८ टा अंक देखबाक लेल नीचाँक लिंक पर जाऊ।
http://www.videha.co.in/

For reading just released 19th issue and 18 old issues of "VIDEHA" Maithili e-journal go to the link below:-
http://www.videha.co.in/


मिथिलाक ध्वज ग़ीत- गजेन्द्र ठाकुर

मिथिलाक ध्वज फहरायत जगतमे,
माँ रूषलि,भूषलि,दूषलि, देखल हम,
अकुलाइत छी, भँसियाइत अछि मन।
छी विद्याक उद्योगक कर्मभूमि सँ,
पछाड़ि आयत सन्तति अहाँक पुनि,
बुद्धि, चातुर्यक आऽ शौर्यक करसँ,
विजयक प्रति करू अहँ शंका जुनि।
मैथिली छथि अल्पप्राण भेल जौँ,
सन्ध्यक्षर बाजि करब हम न्योरा,
वर्ण स्फोटक बनत स्पर्शसँ हमर,
ध्वज खसत नहि हे मातु मिथिला।


महाभारतमे उल्लेख अछि, जे इन्द्र-ध्वजा गाढ़ नील रंगक होइत छल। रामक ध्वजा लाल-गेरुआ रंगक छलन्हि आ’ एहि पर कुलदेवता सूर्यक चित्र अंकित छल। महाभारतमे अर्जुनक ध्वजा पर वानरराजक चित्र छल। नकुलक ध्वजा पर सरभ पशुक चित्र छल। अथर्ववेदक अनुसार सरभ पशु दू माथक , दूट सुन्दर पंख बला, एकटा नमगर पुछी बला आ’ सिंहक समान आठ नोकगर पैरक आँगुर युक्त्त होइत छल।अभिमन्युक द्वजा पर सारंग पक्षी छल। दुर्योधनक ध्वजा सर्पध्वजा छल। द्रोणक ध्वजा पर मृगछाल आ’ कमण्डल छल।कर्णक ध्वजा पर हाथीक पैरक जिंजीर छल, आ’ सूर्य सेहो छलाह।
भगवान विष्णुक ध्वजा पर गरुड़ अंकित अछि। शिवक ध्वजा पर नंदी वृषभ अंकित अछि।
दुर्गा मण्डपमे शस्त्र,ट्क्का,पटह,मृदंग, कांस्यताल(बाँसुरीकेँ छोड़ि), वाद्य ध्वज,कवच आ’ धनुष केर पूजन होइत अछि। एहिमे सर्वप्रथम खड्गक पूजा होयबाक चाही। तकरा बाद चुरिका, कट्टारक, धनुष, कुन्त आ’ कवच केर पूजा आ’ फेर चामर,छत्र,ध्वज,पताका,दुन्दुभि,शंख, सिंहासन आ’ अश्व केर पूजा होइत अछि। हमरा हिसाबे मिथिलाक कोनो झंडा बिना एहि सभक सम्मिलनक संपूर्ण नहि होयत।

विदेह ई-पत्रिकाक सभटा पुरान अंक ( ब्रेल, तिरहुता आ देवनागरी मे ) पी.डी.एफ. डाउनलोडक लेल विदेह आर्काइवमे उपलब्ध अछि। All the old issues of Videha e journal ( in Braille, Tirhuta and Devanagari versions ) are available for pdf download in Videha Archive.

Saturday, June 28, 2008

नशा कs नै कहू, शान सs जिबू..

मुझे पिने की शौक नहीं पिता हूँ गम भुलाने को ......

शिखर (गुटखा) पाउच के बिना खाना हजम नै होइत अछि ! तम्बाकू सs त दाँत सुरक्षित रहैत अछि ! इत्यादि अनेक तरहक गप अपने सब नशेरी मधपान करै वला आदमी के मुह सs दिन रैत सुनैत हेब ! इ सब तर्क ओ सब अपन नशा करै के पक्ष मs देत छला ! हम तs कहैत छलो वर्तमान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री अपन देश के पहिल स्वास्थ्य मंत्री हेता जे इ समस्या कs गंभीर सs लेना छैथ, आर ओ नशा पर रोक लगबै के प्रयाश मs जुरल छैथ ! पता चलल जे सार्वजनिक रूप सs धुम्रपान पर रोक, फ़िल्म मs शराब या सिगरेट पिबै के दृश्य कs नै देखबे के घोसना ओ केने छैथ ! संगे इयो पता चलल की हुनकर इ बात के बिरोध देश के महानायक अमिताभ बच्चन केलखिन हुनकर कहब छैन यदि फ़िल्म मs अई तरहक दृश्य नै देखेल जेते तs फेर देवदास जेहेंन फ़िल्म कोना बैन सकत ? महानायक के मुख सs अई तरहक बात देश वासी के नै पसंद भेलैन ! अहि कहू न की अमिताभ बच्चन जी एहेंन नेक इन्सान भला समाज आर इंसानियत के दुश्मन कोना भो सकैत अछि फ़िल्म निर्देशक महेश भट्टो हुनकर सुर सs मिलेल्खिंन, इ कहल जाओ की बिना शराब के बोतल हाथ मे लेने अभिनेता गमगीन नै देखेल पर्थिन ? आय के युवावर्ग अभिनेता सब सs बहुत प्रभावित रहैत छैथ ! नाई के दुकान पर अपने देखने हेब सब युवा के मांग रहै छैन शाहरुक खान , धोनी जेहेंन केश आर अभिषेक बच्चन जेहेंन दाढ़ी बन्बै के ! कुनू फ़िल्म मs अभिनेता यदि कुनू नया कपड़ा पहनै छैथ त हर युवा के ओ पहिलुक पसंद बैन जाय य ! आब कहू जे धुम्रपान करैत फ़िल्म के दृश्य सs जनमानस पर बुरा असर पड़ते की नै ? कम सs कम इंसानियत के नाते जै समाज मs हम रहै छि ओकर ध्यान राखब हमर सबहक फर्ज अछि ! सरकार कs हर साल धुम्रपान सs होई बला मौत के आकरा निक जोक मालूम छैन तदुपरांत ओ प्रतिबन्ध नै लगबैत छैथ, अहि कहू न खाली वैधानिक चेतावनी भर लिख देना सs किछ होई बला अछि ? यदि सरकार धुम्रपान पर रोक लगबैत छैथ तs हुनका भारी राजस्व के नुकसान हेतैन मुदा ओ इ नै सोचैत छैथ की यदि देश के नागरिक धुम्रपान ग्रसित नै हेता त हुनकर स्वस्थ्य दिमाग के उपयोग कतो नै कतो देश के हित मs उपयोगी हेतैन ! एक बात तs देखलो य की लत परे के बाद आदमी खुद ओई चीज कs बुरा मानैत छैथ बहुतो के मुंह सs सुनना छी.... अरे यार वाकई में नशा बहुत बुरी चीज हैं, पर अब क्या करू छूटती ही नहीं !

संक्षिप्त मs हम इ कहे चाहे छि की जे चीज तन मन आर धन हर तरह सs हमरा सब कs लुटी रहल अछि खाली अपने सब नै अपने सबहक़ परिजनों जै सs परेशान छैथ ओकरा सs भला हमरा सब'क कुन लाभ मीलत ? तही हेतु अपन खातिर नै सही घर - परिवार आर अपन बच्चा के खातिर इ जहर कs नै कहू आर खुश हाल जिन्दजी कs हाँ कहू !

हर फिक्र कs धुवा मs उराबई के बदला हवा मs उड़े बला धुआ के फिक्र करू .....

Friday, June 20, 2008

ककरा कहैत छै-- दहेज़

बउवा पुछलक ,
बाबूजी सं,
कहियौ, ककरा,
कहैत छै - दहेज़ ?

बउवा , अहाँ के ,
विवाह में,
जे टाका लैबे,
गाडी लैबे,
घर में रखैबै ,
सबटा समान सहेज,
ई त हक़,
बनैत ऐछ हमर,
लोक कहैत ऐछ - दहेज़॥

मुदा अहाँ के,
छोटकी बहिन के,
विवाह के,
जखन आयत बेर ,
अहि सड़ल,
प्रथा सं, हमरा ,
भ जायत परहेज,
हमहूँ ढोल पीट,क,
गरियायब, आ कहबई,
कतेक लालची ,
ऐछ ई समाज,
माँगैत ऐछ - दहेज़॥

बउवा अखनो,
चकित- अचंभित,
नहीं बूईझ सकल,
ई भेद,
सबके पूछैत,
रहैत छै,
सैद्खैन, ककरा,
कहैत छै _ दहेज़ ?

Wednesday, June 18, 2008

बौवा, कहिया आयब गाम यौ ?

बाट जोहि जोहि ,
मोन ऐछ थाकल ,
मुंह देखे लेल,
मोन ऐछ लागल,
बौवा, कहिया आयब गाम यौ ?

बीटल बसंत पंचमी, आ,
गेल होली कहिया नै ,
सब पाबैइन अहाँ बिनु बीतल ,
कुन कुन के लिय नाम यौ,
बौवा, कहिया आयब गाम यौ ?

सहर्षा बाला काका एला,
दुमका बला आईब क गेला,
कहिया आयत अहांके बेटा,
सब पूछैत ऐछ, सब ठाम यौ,
बौवा, कहिया आयब गाम यौ ?

पाहिले लिखित छलों चिट्ठी-पत्री,
कखनो पठ्बैईत छलौं सनेश,
आब त फ़ोन पर,
क लैएत छी छोट सन राम राम यौ,
बौवा, कहिया आयब गाम यौ ?

मानल, परदेस बहुत कमेलौं,
हमरो सब लेल खूब पठेलौं,
मुदा माय-बाप के प्रेम सन पैघ,
के द देत दाम यौ,
बौवा, कहिया आयब गाम यौ ?

कलम-गाछी , अंगना-दालान,
बिनु अहाँ, सब सुनसान,
गाछ मजरल, बाट ताके लगलौं,
आब त पाईक रहल ऐछ आम यौ,
बौवा, कहिया आयब गाम यौ ?


आय मिथिलांचल के हेरेक माँ , अपना बौवा सन येह पूईछ रहल छाई.......



Monday, June 16, 2008

ग़लती ..


ग़लती भेल आय हमरा से
तकर कुनो जबाब नही आय
जकर दुःख -दर्द हम बुझैत छि
लोक लाज से भीने मरैय छी
दूर देश के आय पराई त छी
क्याकी .............

ग़लती भेल आय हमरा से ......

छोटका न्नाह बचा संन छेलो
गुली डांटा मे समय बीतेलो
बाबू काका डटायत रहीगेल
मूर्खख संग मूर्खे भोगेल
मान मे अयल से हम केलो
अपन उमर के मोज उरेलो
क्याकी ..........

ग़लती भेल आय हमरा से ......

पढ़ाई लेल जे कियो किछ बाजे
अपने ही सर पर थापर मारी
मूर्खे अच्छी ई सबटा दुनिया
सोचि -सोच्ची हम नही हिया हरी
बाबा -दादा के संपति नही कम
उही देख के उमर बितैत अच्छी
क्याकी ..........

ग़लती भेल आय हमरा से ......

टी वी भिसियार देखते देखते
गम घर मे घूमते घूमते
नेता सब के भाषण सुन-सुन
ग्न्नू झा के कहानि सुनी -सुनी
अपन कपार हम अपने पिटैय छि
क्याकी .........

ग़लती भेल आय हमरा से ........

माय -बाबू के बात नही मानलो
सर समाजाक मान नही रखलो
चॉक -चोरहा मे हसी उरबी
बारका भैया की सब केलायत
छोट्कि भोजी नहियर ग़मेलायत
ई बात सब हम सोचिते राहलो
अपन कपार मे आगी लगेलो
क्याकी............

ग़लती भेल आय हमरा से ........

पढ़ल लिखल छैथ लूटन बाबू
की अपन ओ नाम बानेलैथ
ओही से निक अक्वाली भैया
महीस चरबैत कोठा बनबेलैथ
फुलबा के अच्छी फुशिक खेती
मुसाए बाबा के फाटल धोती
देखलो गामक ई सब रीत
गबैत रहलो इहा हम गीत
क्याकी .............

ग़लती भेल आय हमरा से.........

अपन जीवन के हम की कहू
खापैर- बारहैंन से नयन जुरेलो
फIशी चढ़लो हम मरी जायब
ज़हरो ख़ाके स्वरगो से एलो
हारल थाकल मिथिला लैब मे बैस्लो
ओ -पी जी कहलायत ई की केलो
मिथिला के आहा नाक कटेलो
क्याकी .............

ग़लती भेल आय हमरा से..........


जय मैथिली, जय मिथिला

~: लेखक :~

मदन कुमार ठाकुर
कोठिया पट्टीटोला
झंझारपुर (मधुबनी)
बिहार - ८४७४०४
मो - ०९३१३०१९९३२

प्रिय मिथिला बंधूगन यदि अपनों अपन कुनू रचना इ ब्लॉग पर राखे चाही तs अपन रचना हमरा इ-मेल करू या ब्लॉग मं सदस्यता ग्रहण के कs ख़ुद अपन रचना काय प्रकाशित करू ..........

~: धन्यवाद :~

Tuesday, June 10, 2008

मोन पौडेत ऐच्छ कलम गाछी

मोन पौडेत ऐच्छ,
आम के कलम,
ओग्रैये छलौं ,
दिन - राईत,
नहिं आब रहलौं,
हम गाम के,
नहिं आब औ ,
गाछ छईथ ॥

सोन्हा-बेलवा, मालदा -कलकतिया,
सिन्दुरिया आ कृष्न्भोग,
कीछ सुखायल , किछ मुर्झायल,
सब गाछ में लागल रोग॥

हमरा मोन ऐच्छ नीक जकाँ,
आम गाछ मजरल जहाँ,
पटिया गेरुआ ल सब भागल गाछी ,
गाम पर रुकल कियो कहाँ ॥

फेर त कियो टिकुला बीछैत,
कियो जोगाड़ में गोपी के,
आन्हर बीहैएर में कियो गमछा भैरेय,
कियऊ मोटरी बनाबे धोती के॥

खट्टा चटनी कुच्चा अचार,
त कियो बेहाल ऐच्छ अम्मत्त में,
आब त गाछी सुनसान पडल ऐच्छ,
जेना ठाढ़ छी मरघट में...




सत्ते हमरा त गाम के कलम-गाछी बड मोन पदैत ऐच्छ, आ अहाँ के

एही चिट्ठा पर हमर अगला पन्ना : सब ठाम रहैत छाईथ एक टा कट्ठ्पिंगल...



Friday, May 30, 2008

खट्टर काका सं वार्तालाप (मिथिला के संदर्भमे)



(हम खट्टर काका के दलान पर जखन पहुचलो खट्टर काका भोजनोपरांत कुर्सी पर बैसल छालैथ)

हम कहाल्यैन खट्टर काका गोर लगैत छी !

खट्टर काका - जिवैत रहू हम आहा के पह्चैन नै पेलो आहा के थिको !

हम - हम मैथिल और मिथिला सं आयल छी , हमर नाम मदन कुमार ठाकुर भेल, हमर घर कोठिया - पट्टीटोला अछि

खट्टर काका - तखन आहा हमरा सं की पुछेय चाहैत छी !

हम - आई सं किछ साल पहिने अपनेक ओहिठंम हरिमोहन भईया आयल छालैथ ओ आहा सं चुरा दही चीनी के मूल तत्व के वर्णन जाने आयल छलाह ! तीनो लोक से मिल के बनल अछि जे इ चुरा दही चीनी से आहा सं जानकारी हुनका भेटलैन ! ओही उद्देश सं हम आय अपनेक समक्ष मिथिला विकाश के संदर्भ मं किछ बात करै लेल आयल छी यदि अपनेक के आज्ञा होय त हम किछ अर्ज करी !

खट्टर काका - बाजल जाऊ आहा की पूछे चाहेत छी !

हम - खट्टर काका हम मिथिला के संस्कृति पर पहिने ध्यान देब चाहैत छी जे हमर संस्कृति कहेंन अछि, एकर मान - सम्मान, आचार - वैवहार एक दोसर के प्रति आदर - सत्कार, प्रेम - भावना कहेंन अछि ! आगा जेके एकर मिथिला के उत्पवित संतान पर कतेक प्रभाव परते और नारी जाती के कतेक सम्मान रहते ! मिथिला महान बनत की नै से हम अपने सं जाने चाहे छी !

खट्टर काका - मदन बाबु यदि मिथिला के संस्कृति के बात करी त पहिने बीतल इतिहास के देखि ! आय से कई साल पहिने विद्यापति जी छला मंडनमिश्र, अयाची मिश्र शंकराचार्य जी इत्यादि अनेक महाविद्वान सब भेलैथ ओ सब अपन - अपन कर्तव्य पुरा के क मिथिला के मान - सम्मान दैत चल बैसला ! एतबे नै हम राजा जनके लग सं सुनैत छी मिथिला वर्णन, मिथिला दर्शन, मिथिला के आचार - बिचार दोसर के प्रति सदभावना मधुरबचन इ सब त अपन मिथिला के देन अछि ! दोसर थम कथापी इ कतो नै भेटत क्येक त इ मिथिला मेखूबी छै जे एक - दोसर सं प्रेम मधुर बोली केना बाजल जायत अछि, आय यदि मिथिला बासी चाहैथ जे हमरा संस्कृति पर कुनू आंच नै आबय त पहिने अपन घर के संस्कृति पर ध्यान देब परतेय ! क्येक त हम आय घर - घर मे देखैत छी जे अपन संस्कृति के छोड़ी विदेशी कल्चर लोग अपनाबैत अछि ! माँ - बाबूजी कहब त दूर आब मोम - डैड कहल जायत अछि ! एक दोसर के प्रणाम केनाय त दूर आब हेल्लो - हाई बाजल जायत अछि ! मानलो आई - कैल मे लोग सब किछ अंग्रेजी ज्यादा पैढ़ - लिख लेलक अमेरिका लन्दन सब जाय लागल तकर माने की हम अपन संस्कृति के छोरी दिए इ हमर कर्तव्य अछि इ हमर अधिकार अछि जे विदेशो मे जाय के अपन संस्कृति के उपयोग करी ताहि मे हमर सब मिथिला वासी के कल्याण होयत , और हर मिथिला राज्य आगा - आगा मार्ग पर चलैत रहत ! हमर इ कामना आर दुवा अछि !

हम - खट्टर काका हम देखैत छी जे हमरा मिथिला मे महान - महान कविगन, लेखक, डॉक्टर, इंजिनियर,प्रेस रिपोर्टर सब छैथ ताहि उपरांत हमर मिथिला राज्य आगा विकाश क्येक नै के रहल अछि ! एकर की कारन अछि ?

खट्टर काका - देखु मदन बाबु आय कैल के जूग मे सब अपन - अपन रोजी - रोटी के मार्ग बनबैत छैथ ! दोसर से दोसर के ककरो - ककरो त मेलो - मिलाप नै होइत छैन ताहि हेतु ओ मिथिला विकाश की ओ त अपन घरो के विकाश नै कs सकैत छैथ !

हम - खट्टर काका हम देखैत और सुनैत छी जे आय कैल मे सरकार शिक्षा पर पूर्णरुपे खर्चा कs रहल अछि ! ताहि उपरांत कुनू परिवर्तन नै देखैत छी , सब कियो दिल्ली - मुम्बई भागैत फिरैत अछि !

खट्टर काका - सुनु सब के मन के सोच अपन अलग - अलग होइत छै यदि कुनू आदमी के पैसा ज्यादा भ जायत छै त ओकरा पैसा कूट-कूट काटे लगे छै त ओ अपन पाई के जोगार करतै न ! हुनके सब के देख के आस - पास के जे रहनिहार सब छैथ सब सोचैत छैथ जे फलना के बेटा दिल्ली गेले त हमर बेटा क्येक नै मुम्बई जेता इ जे गाम-घर के रित रिवाज बनल अछि दे बड ख़राब अछि ! अहि मे शिक्षक गन की करता ओ अपन हाजरी लगबैत छैथ और तनखा पबैत छैथ ! अहि मे मारल जायछी हम गाम - घर के गरीब लोकसब (नै घर के नै घाट के) और विषेस की कहब !

हम - खट्टर काका हम हर सहर मे सुनैत छी जे उत्तरी बिहार के सब जिला के सड़क यातायात पर केन्द्र सरकार के सेहो नज़र गेलैन हं ओ नितिस जी के माध्यम सं दिल्ली आसाम रोड सेहो बनी रहल अछि और साथ मे ग्रामीण सरक व्यवस्था के सेहो सूधार भ रहल अछि !

कट्टर काका - हाँ हाँ से तs हमहू सुनैत और देखैत छी सब इ चैल नेता सब के जे N H और ग्रामीण सरक व्यवस्था भ रहल अछि ! की कहू आहा के आय सs साठ साल पहिने हमरा गाम से पूरब पुल टूटल से त एखन तक कियो सोंगर दै बाला नही आयल ! बाढ़ी मे गामक गाम दैह गेल से तs देखेय लेल कियो नही आयल और आहा कहैत छी जे रोड बनबैत अछि ! पिछिला साल न्यूज़ मे सुनलो जे केवल मधुबनी बिकाश के लेल चारी हजार करोड़ रुपैया केन्द्र सरकार देल्कैय से तs नेता और मुखिया सब कुनू पैर - पैखी नही लगेय देल्कैय आ आहाँ कहैत छी जे यातायात व्यवस्था बरहल अछि यो मदन बाबु सब कियो अपन कुर्सी के फ़ायदा उठा रहल अछि !

हम - खट्टर काका तखन किसान भाई के लेल सेहो काफी मुवाब्जा भेट रहल अछि जेनाकी दहार के सुखार के और जगह जगह पर बिजली पम्प के व्यवस्था हर गाव हर पंचैत मे चालू होई बाला अछि कई जगह सब मे नहर के सेहो व्यवस्था भगेल और भो रहल अछि ! अहि विषय पर अपने'क की विचार अछि !

खट्टर काका - सुनू मदन बाबु हमरा सं जे पूछी तs हम सचे कहब की गामक - गाम दहा जायत छै आ मुवाब्जा भेटैय छै एक दु गाम मं जिनकर गाम मे कुछ नाम गाम छै ओ अपन पुरा पुरा प्रोपटी के नाम लिखा दैत छै इये हाल सब जिला के हरेक ब्लोक मे अछि ! और बिजली व्यवस्था के की कहू जिला मे दु तीन थम के नाम सुन्लीय हम आ नहर व्यवस्था व्यवस्था सब चौपट कs गेल जेता किसान भाई के खेती करैय बाला जमीन छल से तs नहर मे चल गेल ओ खेती की करता ! खेत गेला के बात हम १० वर्ष से देखैत छी जे नहर मे पैन नै, आब कतेक नहर पैन के आशा ओ तs धन्यवाद दियोंन इन्द्र देवता के जे हुन्कर कखनो कखनो दया दृष्टि हमरो सब पर भो जैट छैन !

हम - खट्टर काका हम मिथिला बासी के मुह सं सुनैत छी जे हमरा मिथिला राज्य चाही ताहि मे अपने'क की राय अछि ?

खट्टर काका - यदि हमर मिथिला राज्य अलग भो जायैत अछि तs बहुत गर्व के बात छी फेर पुनः मिथिला विदेहक नगरी कहाओत और मिथिला के मान - सम्मान पान मखान सं होयत

जय मैथिली, जय मिथिला

~: लेखक :~
मदन कुमार ठाकुर
कोठिया पट्टीटोला
झंझारपुर (मधुबनी)
बिहार - ८४७४०४
मो - ०९३१३०१९९३२

प्रिय मिथिला बंधूगन यदि अपनों अपन कुनू रचना इ ब्लॉग पर राखे चाही तs अपन रचना हमरा इ-मेल करू या ब्लॉग मं सदस्यता ग्रहण के कs ख़ुद अपन रचना काय प्रकाशित करू ..........

~: धन्यवाद :~

Saturday, May 17, 2008

दवा सs कम नै अछि हँसी



हँसे सs तन - मन मय उत्साह के संचार होइत अछि, आर यदि आत्मा सs हँसल जे दवा सs बेसी फायदेमंद होइत अछि ! हँसी एक उत्तम टॉनिक के काज करैत अछि ! हँसे के लेल आई जगह जगह हास्य क्लब बैन रहल अछि , ताकि भागदौरयुक्त जिन्दगी मs तनाव स मुक्ति मिले ! अपने'क मालूम होबाक् चाही की बात करे वक्त हम सब जते ऑक्सीजन लै छी ओई स छः गुना बेसी ऑक्सीजन हंसेत काल लै छी ! अई तरह शरीर कs प्रयाप्त मात्रा मs ऑक्सीजन मिलेत अछि ! मनोवैज्ञानिको तनाव ग्रस्त आदमी कs हँसे के सलाह दैत छथिन ! मनोवैज्ञानिक के कहब अछि की जखन अपने मुस्कुराबैत छलो त आहाक मस्तिस्क अपने आप सोचे लगैत छैथ की अपने खुश छी ! इये प्रक्रिया पूरा शरीर कए प्रवाहित करैत अछि आर अपने सुकून महसूस करैत छलो ! जखन अपने हँसब शुरू करे छी त शरीर मs रक्त कए संचार तीव्र भो जैत अछि ! तनाव म अगर हँसे के क्षमता हुवे त दुखों कम महसूस होइत अछि ! हँसे सs बहुत लाभ मिले'य जेना की ...
* हँसे सs क्रोध नै आबैत अछि
* हँसे सs आत्मसंतोष के संग सुखद अनुभूति सहो होइत अछि
* शरीर मs नया स्फूर्ति के संचार होइत अछि
* हँसे सs मन म उत्साह के संचार सेहो होइत अछि
* ब्लड प्रेशर कम सेहो होइत अछि
अई तरह सs हँसे के बहुत फायदा देखल गेल अछि आहो हँसब आर हँसेब कए अपन आदत मए शामिल क लिय आर फेर देखु तनाव अपने के पास नै फटकत संगे अपने स्वस्थ सेहो रहब

Thursday, May 15, 2008

आहा'क गुस्सा ....

आजुक भाग दौर के जिंदगी मs तनाव ग्रस्त रहब आम बात अछि ! जखन हम सब तनाव ग्रस्त रहैत छलो तs कखनो कखनो गुस्सा ऐब सेहो स्वाभाविक अछि ! लेकिन गुस्सा यदि आदत के रूप ल लीय, तs ओई पर विचार करबा'क चाही ! बार बार गुस्सा करला सs हमरा सब के सेहत पर ओकर बहुत ग़लत प्रभाव परैत अछि ! कनी अपन अरोस परोस मs नज़र दौराबू आहा देखब की जे महानुभाव गुस्सा नै करैत छैथ, ओ बीमार बहुत कम परैत छैथ ! गुस्सा एक प्रकार के भावना अछि ! लेकिन जखन भावना व्यवहार आर आदत मs बदैल जै'य त अपने के साथ - साथ दोसरो पर ओकर ग़लत असर परे लगे'य ! तही लेल जरुरी अछि की अपन गुस्सा के सही वजह कs पहचाने के प्रयाश करी आर ओई पर नियंत्रण राखी

गुस्सा पर नियंत्रण करै लेल जरुरी अछि, आहा अपन बारे मs ठीक स जानी की आहा'क अपन प्रति व्यवहार केहेन अछि !

गुस्सा नियंत्रण करै हेतु किछ टिप्स

*कुनू तरहक समस्या सs लरै के क्षमता राखी आर ओई बात के पता करी की उक्त बात अपने क वाकई मs गुस्सा करै योग्य अछि !

*ओई बात के पता करै के प्रयास करी जै सs अहा'क गुस्सा आबैत अछि

*गुस्सा के समय अपन शरीर खास के क हाव - भाव आर हाथ - पेर के गति विधि के ध्यान राखी

*गुस्सा ऐला पर अपन ध्यान क दोसर पर केंद्रित करै के प्रयाश करी


अई तरह'क छोट - मोट बात कय ध्यान मs राखैत अपने अपन गुस्सा स निजात पैब सके छलो ! गुस्सा के वक्त कुनू तरहक प्रतिक्रिया स बच्बाक चाही ! ओई सs लगभग सब समस्या खुदे समाप्त भो जेत

नोट : आदमी के भावना (सोच),विचार आर आदत मs अंतसर्वबंध होईत अछि ! विचार, सोच कs प्रभावित करैत अछि आर सोच सs आदत बदलैत छले ! दोसर पहलू पर विचार करल जे तय अहो के आदत विचार मs आर फेर विचार भावना मs परिवर्तन आने छले !

Thursday, March 13, 2008

नैहर मs ससुराल के बुराई करब ठीक नै अछि

हमर परोसी मधु हर महीना दु महीना म नैहर आबैत छली ! नैहर ऐला के बाद परिवार के बिच अपन ससुराल के बहुत बुराई करैत छथि ! हम सास एहेंन केल्खिंन, हमर ससुर ओहेंन केल्खिंन वगैरह - वगैरह ! दरअसल मधु क लागे छैन की हुनकर ससुराल वाला बहुत ख़राब छथिन ! मधु के माँ - बाबूजी सम्झेत छैथ की ओ अपन बेटी के विवाह गलत घर में के देल्खिंन ! ओ सब मधु के हर बात पर यकींन करैत छथिन, करबो किये न कर्थिन ? मधु हुनका सब के लाडली बिटिया छथिन न ! मधु ससुराज गेला पर नै त अपन सास - ससुर के बात मानैत छथिन नै अपन पति के बात ! हरदम अपन पति स हुनकर माँ - बाबूजी आर दियर - ननद के बारे म शिकायत करैत रहैत छथिन ! मधु के पति हुनका बहुत सम्झेल्खिन तयो मधु म कुनू सुधर नै भेलैन, अंत म मधु के पति हुनका स परेशान भे क हुनका तलाक दै के फैसला केलैठ ! आखिर आई तरहक नोबत किये एलैन ?

इ समस्या खाली मधुवे के नै बल्कि सब युवती के अछि ! जे ससुराल क कहियो मन स नै अपने पावैत छैथ ! लिहाजा ससुराल के सब सदस्य हुनका ख़राब नज़र आबैत छैन ! ओ छोट - छोट बात सब क अपन दिल मए अई तरह वैसे लैत छथिन की ससुराल हुनका जैल के समान महशुस होई छैन ! नतीजा इ की नैहर पहुचते सब के बुराई करब सुरु करैत छैथ ! ऐठाम हम कहे चाहब की यदि हम सब युवती सहनशीलता स काज ली त हमरा सब क ससुराल नैहरो स निक लागत ! यदि हम सब दुनु परिवार के बिच सेतु बने के प्रयाश करी त दुनु परिवार के संबंध म जीवन भर मिठास कायम राहत ! नैहर म माँ - बाबूजी क बेटी के हर शिकायत क गंभीरता स नै लेबाक चाही ! हुनका चाही की अपन बेटी क ससुराल जय स पहिने निक जेका सम्झाबैथ की शादी के बाद हुनकर सास - ससुर हुनकर माँ - बाबूजी छथिन ! आर ननद - देवर , भाई - बहिन ! हुनका बड़ा के सम्मान करबाक चाही ! बेटी क मानसिक रूप स अई तरह तैयार करबाक चाही की ओ ससुराल क अपन घर सम्झेथ !

सास - ससुर के फर्ज छैन की ओ बहू क बेटी सम्झेथ किये की कुनू लड़की के लेल ससुराल हुनकर नया घर होई छैन जते ओ नया सिरा स जीवन सुरु करैत छली !

आई - कैल नौकरी करे वाली युवती क अपन कमाई के अभिमान होई छैन ! हुनका अपन पद आर वेतन के अहंकार नै करबाक चाही अई स पति आर देवर - ननद स संबंध म तनाव के स्थिति बैन सकेत अछि ! बात फेर अलग होई के या तलाक तक पहुच सके य ! नैहर म युवती बहुत किछ करैत छली, ससुराल म हुनका अपन बहुत इच्छा मारे परैं छैन ! हुनका चाही की ओ सब के पसंद - नापसंद के ख्याल रखैत !

हर इन्शान एक समान नै होई छैथ ! हर एक के निक - अद्लाह आदत होई छैन ! ऐकरा झगरा के मुद्दा नै बनेबाक चाही ! अई सब के पीछा आहा के एक मात्र लक्ष्य होबाक चाही की धीरे - धीरे अपने क ससुराल के माहोल के अनुसार खुद क ढालना चाही, आर घर के प्यारी बहु बने के प्रयाश करबाक चाही ! एक दिन ओ समय एबे करत जहिया ससुराल वला आहा के बात क ध्यान स सुनता आर आहा के विचार - विमर्स क महत्व देता ! ससुराल आर नैहर के बिच के नाजुक डोर क सम्हैर क राखब अहि के हाथ म अछि.

Saturday, March 8, 2008

ज़िम्मेदारी

किछ महानुभाव अपन ज़िम्मेदारी कए बोझ समझेत छैथ आर किछ महानुभाव ओकरा अपन जीवन के उद्देश्य अपन कर्म आर कर्तव्य ! आइठंम सवाल इ नै अछि की के की मानैत छैथ, सवाल इ अछि की एके बात के लेल इ अलग -अलग नजरिया किये ?

बोझ या जीवे के उद्देश्य - हर काज के साथ जिम्मेदारी जुरल अछि ! बिना जिम्मेदारी कs पूरा केना कुनू काज मs सफलता के उम्मीद बैमानी अछि ! आब इ आहा क सोच्बाक अछि की काज जिम्मेदारी स करबाक चाही या बोझ समझ कs ....

जना की हम ककरो चर्चा करे छी त हुनकर छवि ध्यान मs आइब जैत अछि ! उधारण स्वरुप कुनू बच्चा के चर्चा करला पर ओकर मासूमियत, ओकर शरारत, ओका भोलापन सब स्मरण भो जाय यs ! बात कुनू मित्र के करू त हुनकर सज्जनता, आचरण व्यवहार सब हमरा सब के ध्यान म आइब जैत अछि ! ओहिना जखन कुनू कामयाबी के बारे म कुनू कामयाब आदमी के बारे म हमसब चर्चा करेत छलो त पबे छी सब के पाछा हुनकर जिम्मेदारी के हाथ छैन ! जखन - जखन स्वतंत्रता के चर्चा चले य तs ओई मए जै क्रांतिकारी के नाम बच्चा - बच्चा के जुबान पर होई छैन ओ खाली अई लेल की ओसब जे जे जिम्मेदारी लेलैथ रहे ओकरा बखूबी समझल्खिंन आर पूरा तन - मन आर जान न्योछावर करे हेतुओ ओ अपन जिम्मेदारी स कखनो पीछा नै हटलेथ !


हम त इये कहब कुनू भी काज कs जिम्मेदारी स करे के प्रयाश करी ! चाहे काज पैघ हुवे या छोट जिम्मेदारी स करल गेल काज के मज़े किछ आर होई य ! जिम्मेदारी स काज करै वला मए विवेकशीलता, आत्मविश्वास आर सकारात्मक सोच के अमूल्य धरोहर हुनकर मार्ग प्रशस्त करैत खुद हुनकर काज म कामयाबी के मिसाल बैन क सदैव हुनकर मनोबल उंचा राखे छैन ! आई जतेक अविष्कार हमरा सब के बिच अछि ओकरो करे वला कियो सधारने इन्सान रहथिन ! आई नव - नव तकनीक नव - नव अविष्कार, हर क्षेत्र म दिनोदिन प्रगति के नव नव रास्ता तखने खुलल य जखन हमरा सब क अपन अपन जिम्मेदारी के समझक अहसास भेल अछि !


आई कियोभी चाहे आदमी, संस्था, समाज या देश अपन जिम्मेदारी कए समझे बिना किछ भी हासिल नै के सके छैथ ! एक छोट सन क देश जापान जकरा पूर्ण रूप स तहस - नहस करे म कुनू कसर बांकी नै राखल गेल, ओ फेर आर पहिने स कही ज्यादा उन्नत रूप मए विश्व भैर म अपन स्थान बनेना अछि ! कुन दम पर ? यकीनन अपन जिम्मेदारी स उद्देश्य समेझ कs ....

अहिलेल कहेछलो आहू अपन जिम्मेदारी पूरा करे म कुनू कसर बांकी नै राखी ! यदि अपने क इ बोझ महसूस हुवे त यकीनन आहाके ओकरा बारे म आगा किछ भी सोच्बाक व्येथ अछि ! आहा ओई काज क ओहिठाम छोइर क चैन के निंद ली इये आहा के लेल बेहतर हेत ! कियेकी जखन आहा अपन आचरण आर व्यवहार मए कुनू बदलाव नै लाबे चाहे छी त कम स कम अपन समय बर्बाद नै करू ! पुरातन काल मए कतेक लड़ाई भेल, जते जिम्मेदारी स काज करल गेल ओते हुनका सब क जीत मिललैन आर जते जिम्मेदारी ठीक ढंग स पूरा नै भेल ओई ठाम परिणाम मए मिललैन - हार

अपने कs माने परत यदि आदमी कुनू जिम्मेदारी अपन इच्छा स लैत छैथ त ओ हुनकर ताकत आर जीवन जीवे के उद्देश्य बैन जाय छैन ! मुदा यदि कुनू जुम्मेदारी ज़बरन लिए परे त ओ बोझ महसूस हुवे लागे य ! सवाल जिम्मेदारी के अहसास के अछि ! जकरा संक्षेप्त म कहल जाय त अपन हालत आर हालात के जिम्मेदारी यदि आहा स्वयं पर ली तखने अई मs सूधार हेत !!

Friday, March 7, 2008

चलू किछ बात करी

बिना बात - चित के परिवारिक रिश्ता म करुवाहत आम बात अछि ! इये करुवाहत जन्म दै य अवसाद आर तनाव जेहेंन परेशानी क ! जरुरी अछि की परिवार के सब सदस्य स्वस्थ माहोल म किछ देर बैस क बातचीत करी ! एक दोसर स बात बाँटी ताकि रिश्ता टुकरा म बटे स बचे ! आई समाज के लगभग हर परिवार के सदस्य म तनाव देखई लए मिले य ! बेटा बाप स, बेटी माँ स, पत्नी पति स, त भाई बहिन स रुसल रहेत छैथ ! इ सब समस्या के मूल कारण अछि की किनको पास दु घडी बैस कए बातचीत करै के फुरसत नै छैन ! हम सब टीवी या अपन - अपन कमरा तक सीमित भेल जे रहलो य ! परिवार के बिच संवादहीनता परसल अछि जकरा कारण हम सब एक दोसर के भावनात्मक रूप सए वंचित छी ! माँ - बाबूजी आर बच्चा सब के बिच म एक शून्य उत्पन्न भेल जे रहल अछि ! माँ - बाबूजी बच्चा सब स अनावश्यक बातचीत करब नै चाहेत छैथ ! खाली जरुरी बात पुइछ क रैह जाई छैथ ! जखन की माँ - बाबूजी क बच्चा के हरेक बातक जानकारी होनै चाही ! बच्चा पर ध्यान राखब हर माँ - बाबूजी के फर्ज होई छैन ! जातक आहा अपन बच्चा स बात चित नै करबे त ओ अपने क अपन मन के बात कोना बतेत ? खाश के क युवावस्था प्राप्त करे बला आहा के बच्चा के लेल इ परम आवश्यक अछि की आहा हुनका स बात चित करैत रहू ! ताकि अपने क पता चले ओ कते जैत छैथ, की पहिनैत छैथ, हुनकर के के संगी - साथी छैन आर हुनकर कथी कथी म रूचि छैन इ सब जानकारी राखब हर माँ - बाबूजी के लेल परम आवश्यक अछि ! माँ - बाबूजी के फर्ज छियेंन की ओ अपन जायज बात बच्चा क बताबैथ ! अगर अपने गृहिणी छी त आई दिन म आहा की सब काज केलो, के के दिन म एलेथ आदि चर्चा सब करबाक चाही ! कतेक बेर त देखल गेल य की पत्नी - पति आपसे मए एक - दोसर क नै जानैत छथिन ! किये की ओ आपस म एक - दोसर के बिच कुनू चर्चा नै करैत छैथ ! या करैतो छैथ त कम - सम, पति - पत्नी के रिश्ता भोजन के लिया, कपड़ा धोई लिया बस अहि ठाम तक सीमित अछि ? आई स्थिति म रिश्ता म दुरी बढ़ने स्वाभाविक अछि ! किनको मुह स सुनलो की " हमर इये प्रयाश रहे य की जै घर म बाबूजी बैसल रहैत छैथ ओई घर म हम नै बैसी" याद राखु की इ स्थिति बुजुर्ग लोकैंन क परेशां करे य ! अहिलेल वृद्धावस्था मए हर बुजुर्ग क़ शिकायत रहै छैन की बच्चा माँ - बाबूजी के पास नै बैसैत छैथ !


याद राखी की संवादहीनता क वैचारिक मतभेद बढ़ई य जे अंत मए भावनात्मक दुरी म बदैल जैत अछि ! माँ - बाबूजी आर बच्चा के बिच यदि आरंभ स संवादहीनता के स्थिति पैदा नै हुवे त अंत तक वैचारिक आदान - प्रदान कायम रहत ! साथे नया पीढ़ी म पनैप रहल अवसाद, तनाव जेहेंन परेशानी के हल सेहो मिल जेत !!

Thursday, March 6, 2008

आहा के हँसब कमाल रहे साथी




आहा के हँसब कमाल रहे साथी !
हमरा आहा पर मलाल रहे साथी !!

दाग चेहरा पर दे गेलो आहा !
हम त सोच्लो गुलाब रहे साथी !!

रैत मs आबई अछि अहि के सपना !
दिन मs अहिके ख्याल रहे साथी !!

उइड़ गेल निंद हमर रैत के !
आहा'क एहने सवाल रहे साथी !!

करै लए गेल छलो दिलक सौदा !
कियो आयल छलैथ दलाल साथी !!

आहा के हँसब कमाल रहे साथी !
हमरा आहा पर मलाल रहे साथी !!

Wednesday, March 5, 2008

जीवन के उद्देश्य आर आहाक आत्मविश्वास

प्रिय मिथिला बंधूगन......
कुनू भी सफलता ओहिना हाथ नै लागै छई, ओकरा हेतु आवश्यक अछि की अहाक उद्देश्य स्पष्ट हुवे आर आहा क आत्मविश्वास हुवे की आहा जे रास्ता चुन्लो य ओई पर आहा तमाम व्यवहारिक - अव्यवहारिक रुकावट के बावजूद चलैत रहब !

मुदा की स्पष्ट आर आत्मविश्वासी होनै एतेक आसान अछि ? सकारात्मक सोच ओहिना विकसित नै होइत छल ! कतेक हीन भाव स आई के प्रतियोगिता पूर्ण समय मए युवा लोकेन ग्रसित रहैत छैथ ! सकारात्मक सोच के लेल सर्व प्रथम आवश्यक अछि अपने क जानै परत की आहा मए की कमि आर की खूबी अछि !

आत्मविश्वास बढेनैय खाली आहा के हाथ म अछि ! ओकरा लेल आहा क कनी सामाजिक आर मिलनसार बने परत ! लोग सब स मिल्योन, हुनकर सब बात सुनियोंन, अपन बिचार दियो, हुनकर बिचार सुनियो ! अई तरह स अपने क महसूस हेत की आहो क लोग सूनेत छैथ ! आहा के विचार क सम्झेत छैथ, आहा स ओ प्रभावित होइत छैथ ! लोग स गर्मजोशी स मिलल करू, लोग आहा स गर्मजोशी स मिलता त आहा क निक लागत ! हमर कहे के मतलब अपने क अपन आप म उद्देश्य के लेल ईमानदार होबाक चाही !

आहा अपन वर्तमान आर भविष्य सs लगाव राखु ! अपन सामर्थ्य क ध्यान म राखैत भविष्य के उद्देश्य निर्धारित करू ! अई लगाव क लगन मए बदले दियो ! हमर मतलब आहा पहिने अपन लक्ष्य सुनिश्चित करी तकर बाद तन - मन - धन स ओकरा हासिल करे मए जुटी !

लक्ष्य मिल्ला के बादो भविष्य के तरफ देखब बंद नै करी कारन आहाक सफलता कुंठित भे जेत ! सफलता के खाली एके सीढी नै होई छई, इ अंतहीन सिलसिला अछि जे हर सीढी के बाद आहा क नया आत्मविश्वास प्रदान करत ! जना की बच्चा पहिने एके कदम चालला पर गीर जैत छैथ, मुदा लगन के कारन चल्नै सिखेत छैथ ! पहिने दु फेर चैर फेर एक निश्चित दुरी ......... फेर किछ दिन म ओ दौरे लगेत छैथ ......... मुदा की ओ फेर चुप बैसैत छैथ ? नै किछ दिन के बाद ओ साईकिल चलाबैत छैथ .... मतलब इ सिलसिला कहियो रुके नै छैन !

निराशा सफलता के लेल सबसे बेसी घातक होई य ! निराश व्यक्ति समर्थ भेलो पर असमर्थ होइत छैथ ! निराशा स बचनै जरुरी अछि, चाहे ओकरा लेल अपन अहम त्यैग दोसर स मददे किये न लिए परे ! ज्ञानअर्जन के कुनू सीमा नै अछि, ज्ञान स आत्मविश्वास बढ़ैत अछि !

अगर आहा अपन उद्देश्य के प्रति समर्पित आर स्पष्ट छी त कुनू तरहक विरोध के परवाह नै करी ! आत्मविश्वास के बिज बचपन स मन म होई य, बस ओकरा सिंचेत - रोपैत रहे के जरुरत अछि ! ओ फल्बे - फुल्बे करत अई तरह स अपन लक्ष्य क निर्धारित करैत निराशा के उपेक्षा के क अपन उद्देश्य प्राप्त करे हेतु सक्रिय रहू, एक न एक दिन सफलता आहा के कदम चुम्बे करत॥


हम जीतमोहन जी के आभारी छियेंन जे ओ इ मैथिली ब्लोग
मैथिल और मिथिला " बनेलैथ आर ओई पर हमरो सब क लेखक के रूप म आमंत्रित केलैथ ! समस्त मिथिला वासी स हमर आवाहन अछि की अपनों मैथिली भाषा के प्रति जागरूकता देखाबी !!

धन्यवाद" जय मैथिली, जय मिथिला !!

Monday, March 3, 2008

छोट - छोट बात

अपन सबहक़ जीवन इश्वर के देल एक सर्वश्रेष्ठ उपहार अछि ! अई जीवन रूपी उद्यान क सुगंध सs परिपूर्ण बनाबई हेतु आर खुद क संतुष्ट राखै के लेल किछ बात ध्यान म राखब अति आवश्यक अछि ! अगर हम सब इ बात क सदैव ध्यान म राखी त निश्चित रूप स हम सबतरह सs आत्मिक शांति के सुख प्राप्त के सकब ! कखनो किनको स किछ प्राप्त करे के आशा नै करबाक चाही ! कियेकी इ जरुरी नै अछि की किनको पर करल गेल अपने के अपेक्षा हरदम पूरे हुवे ! आशा के विपरीत भेला पर यदि आहा के मन मए दुःख होई या त किनको दोसर स हम कुनू अपेक्षा करबे किये करब ?

हमेशा धीरज स काम लेबाक चाही, कियेकी रास्ता लम्बा जरुर होइत अछि मुदा अंतहीन नै ! कुनू कदम उठावे स पहिने भली भाति सोइच - विचैर लेबाक चाही

क्रोध क अपन वश म राखी कियेकी क्रोध मुर्खता स आरंभ आर पश्चाताप पर समाप्त होइत अछि !

सदैव याद राखी की "मधुर वचन अछि औषधि आर कटू वचन अछि तीर" इ शब्द क ध्यान म रैख क बाजी !

शेक्सपियर कह्लाखिन रहे " संक्षेप बुद्धिमत्ता के आत्मा होइत अछि ! आवश्यकता स अधिक बात किनको सुने हेतु बाध्य नै कारियोंन ! कहल गेल अछि वार्तालाप जतेक लम्बा होइत अछि ओकर प्रभाव ओतेके कम होइत अछि !

अपन प्रशंसा करे के भूल नै करी ! आई स आहा दोसर पर प्रभाव नै डेल सकब, सामना बाला क खुद पता चले दीयोंन की आहा एहेंन सीधा सरल व्यक्तित्व कतेक गुण स परी पूर्ण छी ! हुनका आहाके बरे म खुद अनुमान लगबे दीयोंन !

परनिंदा, आलोचना नै करी, दोसर के दोष निकाले के पाछा नै रही ! इ सब आदत उन्नति आर सफलता म बाधक सिद्ध होइत अछि !

इष्या आदमी कs ओही तरह खोखला बनबैत अछि जय तरह लकड़ी क दीमक ! इ भावना नै हमरा प्रसन्नता देत अछि नै दोसर कए ! हमरा सब क दोसर के सुख म सुखी, आर दोसर के दुःख मए दुखी होबक चाही !

प्रेम जीवन के सब कठिनाई आर समस्या क आत्मसार करैत अछि ! सदैव प्रेम के भावना रख्बाक चाही !

हमेशा आत्मविश्वासी रही, आत्मविश्वास जीवन के हर क्षेत्र म सफलता के ले जरुरी अछि ! जखन धन , ज्ञान , साथ नै दै छई तखन आत्मविश्वास काज आबे य !

दोसर के हित म अपन हित देखल करू , किनको दोसर के दुःख म अपन सुख के त्याग बहुत संतोष दै छई ! इ सच्ची सेवा कह्लाबे य ! दोसर के सेवा करबाक चाही किये की हर मनुष्य म इश्वर विधमान रहे छथिन ! किन्कारो आंसू पोछब मुसीवत म सहायता करब इश्वर के प्रार्थना के तुल्य होई छई !

Friday, February 29, 2008

बजट भ गेल पेश

चलू, एही सरकार के,
अन्तिम बजट भ गेल पेश,
जे आशा छल, वैह भेटल,
बड नई लागल ठेस॥

गाडी-मोटर भ गेल सस्ता,
रोड पर बढ़त रेस,
धुआं उडेनाय महग भेलैन
जे सिगरेट लेता लेस॥

मोबाईल, कंप्यूटर, भ गेल सस्ता,
सब ब्लॉगर करू ऐश,
कर्जा माफी सं पता नई,
किसान के कते खत्म हतैइन क्लेश॥

देखी चुनाव अगिला बरख,
चिदंबरम धेलाईथ दानी के भेष,
देखल जाय महगाई स कहिया तक,
त्रस्त रहत ई देश॥

बजट के स्वाद लिय ....

बजट २००८ - २००९ (व्यापार)

आई दिनांक २९/०२/२००८ कs वित्तमंत्री पी.चिदंबरम २००८ / २००९ के बजट पेश केलैठ ! देखल जाई त बजट के मुख्य केन्द्र बिंदु रहा किसान आर अल्पसंख्यक वोट बैंक ! आगामी लोकसभा चुनाव कs ध्यान म राखेत कर्ज के दलदल मए डुबल किसान लोकेन के लेल ६० हजार कड़ोर रुपैया कर्ज माफ करे के घोषणा केलेथ वित्तमंत्री पी.चिदंबरम ! वेतन भोगी लोकेन कs आयकर म बहुत राहत मिललेंन दलित, पिछरल, आर अल्पसंख्यक के कल्याण के वास्ते योजना के लेल खजाना खोइल देल गेल अछि ! वित्तमंत्री पी.चिदंबरम संप्रग सरकार के बजट म चैर कड़ोर किसान के कर्ज माफ करे के ऋण राहत आर माफी योजना के घोषणा केलेथ ! कर्मचारी आर मध्य वर्ग कs खुश राखै के लेल डेढ़ लाख रुपैया सालाना के व्यक्तिगत आय कs कर सs पूर्ण रूप स मुक्त के देलखिन ! महिला क आब १.८० लाख आर बुजुर्ग क २.२५ लाख तक कुनू कर नै दिया परतेंन ! सही मायने म देखल जाए त इ बजट मए गरीब आर मध्य वर्ग लोकेन के लेल बहुत किछ करै के प्रयाश केलैथ वित्तमंत्री पी.चिदंबरम !


नीचा बजट के मुख्य अंश प्रस्तुत अछि !!

~* आयकर*~
* आयकर सीमा १ लाख ५० हजार भेल
* महिला के लेल आयकर सीमा १ लाख ८० हजार भेल
* बुजुर्ग के लेल आयकर सीमा २ लाख २५ हजार भेल
* ५ लाख स ऊपर ३० फीसदी टैक्स
* १.५ स ३ लाख तक १० फीसदी टैक्स
* ३ स ५ तक २० फीसदी टैक्स
* माँ - बाबूजी के इलाज पर १५००० के खर्च म ८० - डी के तहत छुट
* बैंक स पैसा निकाले पार टैक्स खत्म

~*सस्ता हेत*~

* जीवन रक्षक दवाई

* सेट टॉप बॉक्स

* डेयरी उत्पाद

* दोपहिया , तिपहिया वाहन

* बस आर कार

~*महग हेत*~

* सिगरेट, तम्बाकू , सॉफ्टवेयर


~*अन्य मुख्य बजट बिंदु*~

* रक्षा बजट १० फीसदी बैढ़ क १ लाख ५६ हजार कड़ोर भेल

* ३०० आई आई टी के विकास हेतु ७५० कड़ोर

* दु गो नया साइंस सेंटर खुलत

* बिजली उत्पाद पर जोर, २८ हजार कड़ोर के निवेश

* इंदिरा आवास योजना म हर आदमी के लेल ३५ हजार

* सिंचाई के लेल २० हजार कड़ोर के योजना

* बागवानी विकाश के लेल ११०० कड़ोर के योजना

* कृषि बीमा योजना के लेल ६४४ कड़ोर के योजना

* विज्ञान के छात्र के लेल ८५ कड़ोर के योजना

* बाल विकाश योजना के लेल ६३०० कड़ोर

* सर्वशिक्षा अभियान हेतु १३१०० कड़ोर

* दुपहर भोजन के लेल ८ हजार कड़ोर

* पोलिया अभियान हेतु १०२२ कड़ोर

* तीन नया आई आई टी खुलत

* आंध्र प्रदेश, राजस्थान, आर अपन बिहार म आई आई टी खुलत

* भारत निर्माण के लेल ३१ हजार कड़ोर के योजना

* ४१० कस्तूरबा गाँधी कन्या स्कूल बनत

केना बची आलोचना के तीर सs

मिथिला "बहिन"

लोकेन के लेल खाश"

समाज मs आहा कतो जाओ आहा क किछ लोग अई तरह के मिलये जेत जिनकर काजे सिर्फ दोसर के किछ नै किछ बुराई करब होई छैन ! इ हुनकर आदत होई छैन जकरा सूइन कs सायद आहा क गुस्सा होइत हेत ! हमर इ ब्लोग लिखे के मकसदे इ अछि की ओई समय आहा गुस्सा नै के क हुनकर बात कs नया मोड़ दीयोंन फेर हुनकर हालत देखु ! वास्तव मs अई तरहक लोग के उद्देश्य इये होई छैन की कुन तरह आहा के भाड़काबे ता की गुस्सा मs अपने हुनका किछ अनर्गल बात कैह दीयों ताकि हुनका आहा के बुराई दोसर लग करै के मोका मिलैंन ! ताहि लेल कहे छी यदि ओई समय आहा अपन गुस्सा पर काबू के लाई छी तस समझू आहा किला फतह के देलो ! किछ ऐहना हमर परोसी के संग भेल रहैंन, एक दिन ओ अपन ननद कs सबके सामना मए दुत्कारलखींन ताहिए सs हुनकर ख़ुशी क ग्रहण लैग गेलेंन ! दरअसल हुनकर ननद हुनका किछ स किछ गाहे - बगाहे सुनबैत रहथिन, बस एक दिन जखन घर म मेहमान रहैंन ओही समय ननद के कटाक्ष के ओ तहेंन जबाब देलखिन की ओही दिन सs ननद के नज़र म बुरा बैंन गेली ! सब मेहमान हुनकर बुराई केलखिन आर फेर त हर कियो हुनका स बात करे स पहिने इ धारणा बने लेल्खिं की ओ बहुत ख़राब छैथ ! हुनकर ककरो स नै बने छैन, हुनका स बात करबे बेकार अछि ! जखन की वास्तव म आई तरह के कुनू बात नै रहेंन ! दरअसल हर आदमी के तम्मना होई छैन की सब हुनका निक कहैंन ! असल म हम सब हमेशा इये समझे छी की सामनेवला जेहेंन हम चाहे छी ओहिना व्यवहार हमरा संग करैथ ! मुदा हमर सभक विरुद्ध कियो यदि किछ बाजेत छैथ ताए हमर सभक दिल तुइट जैत अछि ! हुनका स रिश्ता फीका परे लागे य ! यदि आहा अपन रिश्ता म खटास लाबे स बचे लाय चाहे छी, त किनको प्रति कुनू प्रतिक्रिया व्यक्त करे स पहिने इ जरुर सोइच ली की हुनका की पसंद छैन, आर की नापसंद, इ बात स अपने क खाली हुनकर खुबिया आर खामिया के बारे म पता नै चलत, बल्कि हुनका आहा स्वाभाविक गुण के साथ स्वीकारो के सकब ! आहा के अपेक्षा नै हेत नै टूटत, मगर एकर मतलब इ नै अछि की किन्कारो कुनू भी अनर्गल बात बर्दाश्त करेत रहू ! खाली आहा अपन मन म इ धारणा बने ली की आहा हुनकर बात कखन तक बर्दाश्त के सके छी ! बात सीमा पार होई स पहिने हुनका बाते दीयोंन की आहा हुनकर बहुत बात बर्दाश्त केलियेंन आब बर्दाश्त नै हेत ! आई स सामने बला क अपन गलती के अहसास भे जेतेंन आर आहा के रिश्ता बिगड़े स बैच जेत ! बहिन हमरा समझ स निक इये अछि की यदि कुनू तरहक विवाद स घिरल बात कियो कहा त निक इये हेत की अपने चूपी सैधली, सामने वला निराश भो क खुदे बाजब बंद के देती ! ओनैयो हर बात पार सवाल - जबाब करब कुनू निक बात थोरे न अछि ! एकर बावजुदो यदि अपने क गुस्सा आबे त अपन ध्यान कतो आर मोइड़ देल करू, जना की यदि घर म छी त बहर आँगन मए निकैल क किछ काज के लेल करू, टीवी खोइल क बैस सके छी ताकि ओई समय चलाई बला बात के रुख बदैल जाय ! कतेक बेर देखल गेल अछि की हम सब कुनू बात के प्रतिक्रिया क नकारात्मक ढंग स लैत छलो ! इ बात ठीक नै अछि ! ठंढा दिमाग स हमरा सब क सोच्बाक चाही की हम अपन आप कई कोना सुधारी कहावत अछि "आप भला तो जग भला" यदि कियो अपने स किछ कहेत अछि त पहिने हुनका बात पर नाराज़ होई के बदला अमल करैत सोचबाक चाही की बात म कतेक सत्यता अछि ! मिठास के संग जबाब दै के कला के साथे - साथ विनम्रता क अपन व्यक्तितत्व के अंग बनाबी इये हमर सब मिथिला बहिन स आग्रह अछि ! हमर धारणा यदि अपने क पसंद हुवे त टिप्पणी देब नै भुलब धन्यवाद !!

Wednesday, February 27, 2008

होली - कथा




होली उत्सव के उत्पति के कथा हिरण्यकश्यप के बहिन होलिका आर पुत्र प्रह्लाद सs जुरल अछि !!



इ पर्व के मुख्य संबंध बालक प्रह्लाद सs छैन ! जे रहैत तय विष्णु भक्त मुदा एहेंन परिवार मए जन्म लेलेथ रहा जकर मुखिया क्रूर आर निर्दयी रहथिन ! प्रह्लाद के बाबूजी अर्थात निर्दयी हिरण्यकश्यप अपनाआप कए भगवान सम्झैत रहथिन ! आर सब प्रजा सए इये उम्मीद करैत रहथिन की ओहो सब हुनका भगवान मानैत पुजैन ! जे हुनका नै पुजैत रहथिन ओकरा या तए माइर देल जैट रहेँन या कैद खाना मए बंद कैल जायत रहेँन ! जखन हिरण्यकश्यप कs पता चललैन की हुनकर पुत्र प्रह्लाद विष्णु भक्त छैथ तs पहिने हुनका (प्रह्लाद) कए डरे - धमके कए आर अनेक प्रकार सs हुनका पर दबाब डाइल कए की ओ विष्णु भगवान कs छोइर हुनका (हिरण्यकश्यप) कs पुजैथ समझाबे के प्रयाश केलखिन ! मगर प्रह्लाद कए अपन भगवान विष्णु पर अटूट श्रद्धा रहेँन ओ बिना कुनू भय के हुनका पुजैत रहलाखिन ! सब प्रयाश के बावजूद जखन प्रह्लाद नै मानलखींन तए हिरण्यकश्यप बिचार्लैथ की प्रह्लाद कs जान सए मैर देल जाई ! एकरालेल ओ बहुत तरह के उपाय केलैथ मुदा हर बेर असफल रहलैथ ! अंत मए हिरण्यकश्यप अपन बहिन होलिका, जिनका अग्नि मs नै जले के वरदान प्राप्त रहैंन, हुनका बजेलखिन आर प्रह्लाद कए मारै के योजना बनेलखिन ! एक दिन निर्दै हिरण्यकश्यप बहुत सारा लकड़ी जमा केलेथ आर ओई मए आइग लगे देलखिन ! जखन लकड़ी तीव्रता सs जरे लग्लैन तए हिरण्यकश्यप अपन बहिन होलिका कए आदेश देलखिन की ओ प्रह्लाद कs गोद मए ले कs जडैत आइग मए बैसेथ ! होलिका हुनकर आज्ञा के पालन करैत ओहिना केलखिन ! दैवयोग सs प्रह्लाद बैच गेला आर होलिका वरदान के बावजूद ओही आइग मए जैल कs भस्म भे गेली ! तहिये सs प्रह्लाद के भक्ति आर असुरी राक्षसी होलिका के स्मृति मए इ त्योहार मनेल जैत अछि !



समस्त मिथिला वासी कs "मैथिल और मिथिला" ब्लोग के तरफ स रंगक त्योहार होली के हार्दिक शुभकामनाये !!!

Tuesday, February 26, 2008

बजट २००८ - २००९

रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव अइयो बेर लगातार पाँचवा साल किराया मs कुनू वृद्धि नै केलखिन ! लालू प्रसाद यादव भारतीय रेल के इतिहास म मंगलवार दिनांक २६/०२/२००८ कs एक नया कृतिमान स्तापित केलैथ ! उलटे ओ २००८ - २००९ के बजट मs किराया मs पाँच सs सात प्रतिशत के कमी के घोसना केलखिन, नीचा बजट के मुख्य अंश प्रस्तुत अछि !!

* ५० रुपैया सs उपर के किराया मए ५ फीसदी छुट

* एसी के तेसर दर्जा मए ३ फीसदी के छुट

* एसी के दोसर दर्जा मए ४ फीसदी के छुट

* एसी प्रथम श्रेणी मए ७ फीसदी के छुट

* महिला कए पाँच फीसदी नौकरी

* १० नया गरीब रथ चलत

* ५३ नया गाड़ी चलत

* १६ गाड़ी के विस्तार

* रेल कारखाना के लेल २०० करोड़

* केरल मए नया कोच फैक्ट्री बनत

* गैंगमैन कए गेटमैन बनेल जेत

* कुली कए गैंगमैन बनेल जेत

* चाइना रेलवे सs समझोता

* स्नातक छात्र के किराया मए रियायत

* पटना,सिकंदराबाद,मुम्बई,नईदिल्ली,स्टेशन विश्वस्तरीयबनत

* अशोक चक्र पास कए शताब्दी, राजधानी मs मान्यता

* वरिष्ठ नागरिक कए ५० फीसदी के छुट

* बोनस ६५ दिन सए बैठ क ७० दिन भेल

* ५७०० नया सुरक्षाकर्मी के भर्ती

* रेलगाड़ी मए इन्टरनेट के सुविधा मिलत

* विश्वस्तरीय स्टेशन के लेल १५ हजार करोड़

* १९५ स्टेशन पर पैदल यात्री पुल के निर्माण

* उड़ीसा के महानदी पर पुल बनत

* मोबाइल पर टिकट बुकिंग के सुविधा


उपयुक्त रेल बजट के धोसना केलैथ रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, अई बेर के बजट मs भारतीय रेल क २५ हजार करोड़ के मुनाफा आर पिछला ५ साल मए ६८ हजार करोड़ के मुनाफा करेलखिन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ! देखल जाए त पिछला पाँच साल सए भारतीय रेल कs घाटा सs उबैर देलखिन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ! ऐयतरह सs अई बेर बहुत निक रेल बजट पेश केलैथ रेल मंत्री, आब देख्बाक इ ऐच्छ की जतेक घोसना केलैथ या ओई मs पूरा की सब करैत छैथ रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव !!