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Friday, February 20, 2009

की हमहूँ रहबै कुमार - मदन कुमार ठाकुर

यौ पाठक गण की कहू अपन मिथिला राज्य चौपट भ' गेल ( से कोना यौ ) एक त कमला कोशीक दहार आ दोसर दहेज़ प्रथाक व्यवहार ! कमला कोशी लेलक पेटक आहार त दहेज़ प्रथा केलक आर्थिक लाचार ! कन्यादान से कतेक पिता लोकनि सेहो भेला बीमार आ कतेको बर छथि ओही बाधा सँ सेहो कुमार आ बीमार ! ओही सभ बात के लs क' हम नब युबक संघक बाधा कs ल'क' पाठक गणक समक्ष मैथिल आर मिथिला पर हाजिर छी.......


जय गणेश मंगल गणेश, सदिखन रटलो मंत्र उचार !
सभ बाधाक हरय बाला, कते गेलो अहाँ छोड़ि संसार !!
अपना लेल अगल - बगल मे, हमरा लेल किए दूर व्यवहार !
आब कहू यो गणपति महाराज, की हमहूँ रहबै कुमार... !!


बरख बीत गेल देखते देखते, जन्म कुंडली मे थर्टी ! (३०)
दहेजक आस मे हम नै बैसब, हमरो उम्र भो जेत सिक्सटी !! (६०)
गाम - गाम मे जे के बाजब, बाबू हमर छथि दुराचार !
आब कहू यो बाबू - काका, की हमहूँ रहबै कुमार... !!


ब्रह्म बाबा के सभ दिन गछ्लो, लगाबू अहि लगन मे बेरापार !
ओही खुशी मे अहाँ के देब, हम अपन गाय के दूधक धार !!
हे कुसेश्वर हे सिंघेश्वर, अहाँक महिमा अछि अपरम पार !
अहि लगन मे पार लगाबू, हम आनब दूध दही आ केराक भार !!
आब कहू यो भोले दानी, की हमहूँ रहबै कुमार .......


सौराठ सभा मे जे के बैसलों, सातों दिन आ सातो राति !
कियो नै पुछलक नाम आ गाम, की भेल अपनेक गोत्र मूल बिधान !!
घर मे आबी के खाट पकरलो, नै भेल आब हमर कुनू जोगार !
आब कहू यो बाबा - नाना, की हमहूँ रहबै कुमार !!


दौर - दौर जे पंडित पुर्हित, सभ दिन पूछी राय बिचार !
पंडित जी के मुहँ से फुटलैन ई बकार ..........
जेठ अषाढ़ त बितैते अछि, अघन से परैत अछि अतिचार !!
आब कहू यो पंडित पुर्हित, की हमहूँ रहबै कुमार .....


नै पढ़लो हम आइये - बीए, छी हमहूँ यो मिडिल पास !
डॉक्टर भइया - मास्टर बहिया, ओहो काटलैथ एक दिन घास !!
ओही खान्दानक छी यो हमहूँ, जून करू आब हमर धिकार !
आब कहू यो बाबू - भैया, की हमहूँ रहबै कुमार !!


गोर - कारी सभ के रखबै, लुल्ही - लंगरी से घर के सजेबई !
बौकी पगली के दरभंगा में देखेबाई, कन्ही कोतरी से करब जिन्दगी साकार !!
आब कहू यो संगी - साथी, की हमहूँ रहबै कुमार ..........


अघन के लगन देख हम झूमी उठलो, जेना करैत अछि नाग फुफकार !
लगन बीत गेल माघ फागुन के, गुजैर रहल अछि जेठ अषाढ़ !!
अंतिम लगन ओहिना बितत, नैया डूबत हमरो बिच धार !
आब कहू यो मैथिल आर मिथिलाक पाठक गन, की हमहू रहबै कुमार !!

नब युवक के बातक रखलो मान, शादी.कॉम में लिखेलो अपन नाम !
नै कुनू भेटल कतो से मेल, लागैत अछि जे ईहो भेल फैल !!
कतेक दिन करब मेलक इंतजार........
आब कहू यो कम्पूटर महाराज, की हमहूँ रहबै कुमार !!

भोरे उठी गेलो खेत खलिहान, उम्हरे से केना एलो कमला स्नान
देखलो दुई चैर आदमी के, बात करैत छल कन्यादान !
पीड़ी छुई हम भगवती के, पहुँच गेलो हम अपन दालान !!
हाथ जोरी हम सबके, विनती केलो बारम् बार !
आब कहूँ यो घटक महाराज, की हमहूँ रहबै कुमार !!





मदन कुमार ठाकुर,
कोठिया पट्टीटोला,
झंझारपुर (मधुबनी)
बिहार - ८४७४०४.

20 comments:

  1. आब लागैत अच्छी जे दहेज़ प्रथा जल्दी ये उठी जायत क्याकि ,
    मदन जी के कविता से लगी रहल अच्छी बास्तव में मिथिला में बर् बहुत कुमार अच्छी ,
    अहिना लिख़त रहू मिथिला के लेखक गन मिथिला के सब दुख दूर भ जायत
    जे मैथिल जे मिथिला

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  2. बरख बीत गेल देखते देखते, जन्म कुंडली मे थर्टी ! (३०)


    दहेजक आस मे हम नै बैसब, हमरो उम्र भो जेत सिक्सटी !! (६०)


    गाम - गाम मे जे के बाजब, बाबू हमर छथि दुराचार !


    आब कहू यो बाबू - काका, की हमहूँ रहबै कुमार... !! नब युवक के बातक रखलो मान, शादी.कॉम में लिखेलो अपन नाम !


    नै कुनू भेटल कतो से मेल, लागैत अछि जे ईहो भेल फैल !!


    कतेक दिन करब मेलक इंतजार........


    आब कहू यो कम्पूटर महाराज, की हमहूँ रहबै कुमार !!

    bahut nik liKhalo madan ji

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  3. madan ji ahan te holik rang akhne se aani rahal chhi
    nik prastuti

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  4. madan ji ahank rachnak jatek barai huay tatek kam, kono chhadm nahi, saph hriday se likhal sabhta rachna sabh.

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  5. madnan ji bahut nik lagal

    hamra Ahi shbdk entjar Achhi


    MUKESH JHA
    JAMU

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  6. कमला कोशी लेलक पेटक आहार त दहेज़ प्रथा केलक आर्थिक लाचार
    bahut nik lagal
    mdan Bhaiya

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  7. समस्त मिथिला वाशी के हमरो चरण स्पर्श अच्छी -------
    बहुत -बहुत धन्य वाद मैथिल आर मिथिला पाठक गन के जे ओं अपन कीमती वक्त हमारा पर लेखनी में देलानी हम हुनक आभारी छि
    प्रेम से बाजु अपन मैथिलि बोली ,
    स्पस्ट लिखू आब यो मैथिलि बोली
    कम्पूटर लिखया मैथिलि बोली
    दुनिया के स्मझाबैत अच्छी मैथिलि बोली अपन बोली अपन भाषा , काज देत यो अपन भाषा
    जय मैथिल जय मिथिला

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  8. दौर - दौर जे पंडित पुर्हित, सभ दिन पूछी राय बिचार !
    पंडित जी के मुहँ से फुटलैन ई बकार ..........
    जेठ अषाढ़ त बितैते अछि, अघन से परैत अछि अतिचार !!
    आब कहू यो पंडित पुर्हित, की हमहूँ रहबै कुमार .....


    वाह मदनजी, कमाल क देलियै यौ । धन्‍यवाद । अहॉं जाहि कुमार लड्काक मन:स्थिति के वर्णन अपना कविता में केलहुँ अछि, से एकदम यथार्थ चित्रण अछि । सत्‍ते, अधिकतर कुमार लडका सबहक मिथिला में यैह स्थिति छै आई-काल्हि । पुन: धन्‍यवाद ।

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  9. bahut sundar Achhi


    manohr jha

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  10. man mohi lelo mdna ji ---
    sab bar bala ke Ahina thesi utair jetan eak din
    tahan Ahina bakba krta ---
    Asha jha

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  11. suni ke dukh dur Bhagel, je hamhita kumar nahi Chhi Aur bahut kumar chhaith

    Randhir kamat
    darbhanga

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  12. kamal ka delo Madan jI

    bahut bahut Dhnywad

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  13. madan ji hamar viwah thik Bhagel
    lagait Achhi je Aab ham kumare nahi rahab
    ahan ke e kavita bahut nika lagal

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  14. madan ji hamar viwah thik Bhagel
    lagait Achhi je Aab ham kumare nahi rahab
    ahan ke e kavita bahut nika lagal

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  15. बहुत नीक प्रस्तुति।

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  16. भोरे उठी गेलो खेत खलिहान,
    उम्हरे से केना एलो कमला स्नान
    देखलो दुई चैर आदमी के,
    बात करैत छल कन्यादान !
    पीड़ी छुई हम भगवती के,
    पहुँच गेलो हम अपन दालान !!
    हाथ जोरी हम सबके,
    विनती केलो बारम् बार !
    आब कहूँ यो घटक महाराज,
    की हमहूँ रहबै कुमार !!
    harek kumar sabhak eha bat chhain , mazburi me bechara bajata ki , e kavita apan ghar ke lak ke dekhetin ta sab mamla fit bhajetain ,

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  17. ATI SUNDAR VICHAR SE LIKHLO , AHAN KE E KVITA PADTHI KE APAN JINGI KE PRTHAM CHARAN YAD AABAY LAGAL , JE EK DIN HAMARO EHA STHITI CHHALA ,

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  18. Ati shundar bichar delo hamr lokain ke lel, je kumar me ki hala t hoyat achi , ohi ke bad tayo bina dheje lenay nahi chhorait achi ,
    OHI ME MARAL JAYT CHI HAM KUMAR AA KUMAIRI LOKAIN , BAHUT DUKHA KE BAT ACHHI JE HAM KIYA KUMAR CHHI ------

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  19. दौर - दौर जे पंडित पुर्हित,
    सभ दिन पूछी राय बिचार !
    पंडित जी के मुहँ से फुटलैन ई बकार ..........
    जेठ अषाढ़ त बितैते अछि,
    अघन से परैत अछि अतिचार !!
    आब कहू यो पंडित पुर्हित,
    की हमहूँ रहबै कुमार .....
    shahi likhalo madan ji

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