Pages

Friday, March 20, 2009

कुंडलिया- आशीष अनचिन्हार

कोनो समय मे हम कुंडलिया लिखैत रहियैक। गजलक फेर मे ओकरा बिसरि गेलियैक। आब मात्रा सही नहि बसि रहल छैक।मुदा तैओ हम दोहरा रहल छी। आशा अछि जे सुधी पाठक मात्राक गलती के बिसरि रसास्वादन करताह। हमर अन्य गजल के लेल देखू---anchinharakharkolkata.blogspot.com
-------------------------------------------------------------------------------------------------
कुंडलिया

डेग-डेग पर छाल्ही भेटै डेग-डेग पर गूँह
लूझए बला लुझबे करतै जकर जेहन मूँह

जकर जेहन मूँह धोधि पोन बेसी अछि चतरल
प्राण मुदा अछि टूटल फूटल काटल कतरल

कह अनचिन्हार कविराय एहने छैक संसारक रीति
सगरो दुनिया बजि रहल स्वार्थक गीति

6 comments:

  1. bad nik , kundali sabh te bisaraiye lagal achhi lok

    ReplyDelete
  2. डेग-डेग पर छाल्ही भेटै डेग-डेग पर गूँह
    लूझए बला लुझबे करतै जकर जेहन मूँह
    जकर जेहन मूँह धोधि पोन बेसी अछि चतरल
    प्राण मुदा अछि टूटल फूटल काटल कतरल
    कह अनचिन्हार कविराय एहने छैक संसारक रीति
    सगरो दुनिया बजि रहल स्वार्थक गीति

    bad nik kundali sabh achhi, muda pahine likhait rahi se lagait achhi je aai kalhi nahi likhi rahal chhi, se kiyek

    ReplyDelete
  3. gajlak pher ehne hoit chhaik, muda gajalo te ahan hilabaiye bala likhait chhi jehan ee kundaliya achhi

    ReplyDelete
  4. कह अनचिन्हार कविराय एहने छैक संसारक रीति
    सगरो दुनिया बजि रहल स्वार्थक गीति

    जकर जेहन मूँह धोधि पोन बेसी अछि चतरल
    प्राण मुदा अछि टूटल फूटल काटल कतरल

    डेग-डेग पर छाल्ही भेटै डेग-डेग पर गूँह
    लूझए बला लुझबे करतै जकर जेहन मूँह

    lujhiye rahal achhi lok
    pran chhaik okar katral
    swarthak git genharak te aar beshi katral,

    dosar kundaliya jaldi post karu

    ReplyDelete
  5. बहुत नीक प्रस्तुति

    ReplyDelete