कोनो समय मे हम कुंडलिया लिखैत रहियैक। गजलक फेर मे ओकरा बिसरि गेलियैक। आब मात्रा सही नहि बसि रहल छैक।मुदा तैओ हम दोहरा रहल छी। आशा अछि जे सुधी पाठक मात्राक गलती के बिसरि रसास्वादन करताह। हमर अन्य गजल के लेल देखू---anchinharakharkolkata.blogspot.com
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कुंडलिया
डेग-डेग पर छाल्ही भेटै डेग-डेग पर गूँह
लूझए बला लुझबे करतै जकर जेहन मूँह
जकर जेहन मूँह धोधि पोन बेसी अछि चतरल
प्राण मुदा अछि टूटल फूटल काटल कतरल
कह अनचिन्हार कविराय एहने छैक संसारक रीति
सगरो दुनिया बजि रहल स्वार्थक गीति
bad nik , kundali sabh te bisaraiye lagal achhi lok
ReplyDeleteडेग-डेग पर छाल्ही भेटै डेग-डेग पर गूँह
ReplyDeleteलूझए बला लुझबे करतै जकर जेहन मूँह
जकर जेहन मूँह धोधि पोन बेसी अछि चतरल
प्राण मुदा अछि टूटल फूटल काटल कतरल
कह अनचिन्हार कविराय एहने छैक संसारक रीति
सगरो दुनिया बजि रहल स्वार्थक गीति
bad nik kundali sabh achhi, muda pahine likhait rahi se lagait achhi je aai kalhi nahi likhi rahal chhi, se kiyek
gajlak pher ehne hoit chhaik, muda gajalo te ahan hilabaiye bala likhait chhi jehan ee kundaliya achhi
ReplyDeleteकह अनचिन्हार कविराय एहने छैक संसारक रीति
ReplyDeleteसगरो दुनिया बजि रहल स्वार्थक गीति
जकर जेहन मूँह धोधि पोन बेसी अछि चतरल
प्राण मुदा अछि टूटल फूटल काटल कतरल
डेग-डेग पर छाल्ही भेटै डेग-डेग पर गूँह
लूझए बला लुझबे करतै जकर जेहन मूँह
lujhiye rahal achhi lok
pran chhaik okar katral
swarthak git genharak te aar beshi katral,
dosar kundaliya jaldi post karu
bah
ReplyDeletebah
bah
बहुत नीक प्रस्तुति
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