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Friday, June 20, 2008

ककरा कहैत छै-- दहेज़

बउवा पुछलक ,
बाबूजी सं,
कहियौ, ककरा,
कहैत छै - दहेज़ ?

बउवा , अहाँ के ,
विवाह में,
जे टाका लैबे,
गाडी लैबे,
घर में रखैबै ,
सबटा समान सहेज,
ई त हक़,
बनैत ऐछ हमर,
लोक कहैत ऐछ - दहेज़॥

मुदा अहाँ के,
छोटकी बहिन के,
विवाह के,
जखन आयत बेर ,
अहि सड़ल,
प्रथा सं, हमरा ,
भ जायत परहेज,
हमहूँ ढोल पीट,क,
गरियायब, आ कहबई,
कतेक लालची ,
ऐछ ई समाज,
माँगैत ऐछ - दहेज़॥

बउवा अखनो,
चकित- अचंभित,
नहीं बूईझ सकल,
ई भेद,
सबके पूछैत,
रहैत छै,
सैद्खैन, ककरा,
कहैत छै _ दहेज़ ?

5 comments:

  1. अपन मिथिला मs पैल रहल दहेज़प्रथा पर आधारित अपने के कविता (ककरा,
    कहैत छै _ दहेज़) बहुत निक रचना अछि, अहिना मिथिला के प्रति लिखैत रहू .....

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  2. आत्मासँ हृदयसँ लिखल एहि ब्लॉगक सभ पद्य हृदयकेँ छुबैत अछि।

    গজেন্দ্র ঠাকুব

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  3. हमहूँ ढोल पीट,क,
    गरियायब, आ कहबई,
    कतेक लालची ,
    ऐछ ई समाज,
    माँगैत ऐछ - दहेज़॥

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  4. ee blog samanya aa gambhir dunu tarahak pathakak lel achhi, maithilik bahut paigh seva ahan lokani kay rahal chhi, takar jatek charchaa hoy se kam achhi.

    dr palan jha

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