घरमे पसरल अछि
बहुत रास अन्हार
आ बाहर टिप-टिप करैत
बरसि रहल अछि
घमाघट मेघ
सोझाँक उछाल खत्तामे
गाबि रहल अछि मल्हार
मदमस्त ढौसा बेंग
लोक कहैत अछि
एहि बेरुका बरसातमे
टूटि क’ रहतै बान्ह
महार पर जएबाक तैयारी
क’ नेने छै लोक
एक टा आतंक
पसरल अछि चारू कात
भय निराशा आ मोह
घेरने अछि चारू कातसँ
सलाइक काठीसँ
निकालै छै इजोत
आ क्षण भरिमे
अन्हार चाँपि लै छै ओकरा
अपनामे
अन्हारक सम्पूर्ण सत्ता
व्याप्त अछि हमरा चारू कात
आ विलीन क’ लेबए चाहैत अछि
अपनामे
एहि घरक सम्पूर्ण व्यवस्थाकें।
bad nik kavita
ReplyDeleteसोझाँक उछाल खत्तामे
ReplyDeleteगाबि रहल अछि मल्हार
bahut nik bahin kanini ji
घरमे पसरल अछि
ReplyDeleteबहुत रास अन्हार
आ बाहर टिप-टिप करैत
बरसि रहल अछि
घमाघट मेघ
सोझाँक उछाल खत्तामे
गाबि रहल अछि मल्हार
मदमस्त ढौसा बेंग
लोक कहैत अछि
एहि बेरुका बरसातमे
टूटि क’ रहतै बान्ह
महार पर जएबाक तैयारी
क’ नेने छै लोक
एक टा आतंक
पसरल अछि चारू कात
भय निराशा आ मोह
घेरने अछि चारू कातसँ
सलाइक काठीसँ
निकालै छै इजोत
आ क्षण भरिमे
अन्हार चाँपि लै छै ओकरा
अपनामे
अन्हारक सम्पूर्ण सत्ता
व्याप्त अछि हमरा चारू कात
आ विलीन क’ लेबए चाहैत अछि
अपनामे
एहि घरक सम्पूर्ण व्यवस्थाकें।
ati sundar
kaminik kavitak prastuti lel dhanyavad
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